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Chaitra Navratri 2024
Go Back | Yugvarta , Mar 29, 2024 08:51 PM
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News Image Lucknow :  आचार्य एस.अवस्थी
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वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है और नवमी तिथि पर इस पर्व का समापन होता है। चैत्र नवरात्रि के दौरान मां भगवती की उपासना करने से जीवन में आ रही सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
सनातन धर्म में मां भगवती की उपासना के लिए नवरात्रि पर्व के नौ दिनों को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
दिव्य माँ के रूप में ब्रह्मांडीय चेतना और ऊर्जा निरंतर और सचेतन विकास और सृजन के लिए सृजन, पालन और परिवर्तनकारी विनाश को

कल्याणकारी मंत्र
सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोस्तु ते।

आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्ति का मंत्र
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।

रक्षा के लिए मंत्र
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।
घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च।।

समृद्धि और बाधा मुक्ति मंत्र

ॐ सर्वबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्यः सुतान्वितः।

मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ।।

नियंत्रित करती है। ब्रह्मांड की यह विकासवादी और चक्रीय ऊर्जा हमारे शरीर में चक्रों से भी जुड़ी हुई है।
नवरात्रि के दौरान हम दिव्य मां का आह्वान, पूजा, सम्मान, ध्यान और प्रार्थना करते हैं कि वे हमें बंधनों और अज्ञानता को दूर करने में मदद करें और हमें विचारों, शब्दों और कार्यों में अपने उच्चतम रचनात्मक रूप में उस सर्वोच्च ऊर्जा को हमारे भीतर प्रवाहित करने में सक्षम बनाएं।
चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना के दिन हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होती है और इसी दिन गुड़ी पड़वा मनाया जाता है। इसके बाद माता के नौ स्वरूप माँ शैलपुत्री, माँ ब्रह्मचारिणी, माँ चंद्रघंटा, माँ कुष्मांडा, माँ स्कंदमाता, माँ कात्यायनी, माँ कालरात्रि, माँ महागौरी और माँ सिद्धिदात्री की विशेष पूजा की जाती हैऔर दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है। इस पाठ में देवी के नौ रूपों के अवतरण और उनके द्वारा दुष्टों के संहार का पूरा विवरण है।
चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन नवमी को रामनवमी मनाई जाती है। भगवान श्री विष्णु ने त्रेता युग में इसी दिन भगवान श्री राम के रूप में अयोध्या में अवतार लिया था।

चैत्र नवरात्रि 2024 कलश स्थापना मुहूर्त और हिंदू नव वर्ष
पंचांग के अनुसार, चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 08 अप्रैल रात्रि 11:50 पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन 09 अप्रैल रात्रि 08:30 पर होगा औरउदया तिथि को चैत्र नवरात्रि पर्व का शुभारंभ 09 अप्रैल 2024, मंगलवार के दिन होगा

चैत्र नवरात्रि के दिन घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 06:02 से सुबह 10:23 के बीच रहेगा. साथ ही इस दिन अभिजीत मुहूर्त में भी घटस्थापना को स्वीकृति प्राप्त है. अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:55 से दोपहर 12:45 के बीच रहेगा. इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है, जो सुबह 7:32 से शुरू होगा.

चैत्र नवरात्रि 2024 तिथि सूची

09 अप्रैल 2024, मंगलवार- मां शैलपुत्री पूजा, घटस्थापना
10 अप्रैल 2024, बुधवार- मां ब्रह्मचारिणी पूजा
11 अप्रैल 2024, गुरुवार- मां चंद्रघंटा पूजा
12 अप्रैल 2024, शुक्रवार- मां कुष्मांडा पूजा
13 अप्रैल 2024, शनिवार- मां स्कंदमाता पूजा
14 अप्रैल 2024, रविवार- मां कात्यायनी पूजा
15 अप्रैल 2024, सोमवार- मां कालरात्रि पूजा
16 अप्रैल 2024, मंगलवार- मां महागौरी पूजा और दुर्गा महाअष्टमी पूजा
17 अप्रैल 2024, बुधवार- मां सिद्धिदात्री पूजा, महानवमी और रामनवमी

नवरात्रि में करने योग्य 9 पुण्य
- उपवास
- प्रार्थना
- ध्यान
- मंत्र साधना
- छोटी कन्याओं को भोजन और उपहार दें
- गाय को भोजन कराएं
- लोगों को भोजन दें
-पेड़ों को पानी दें
- कुछ दान कार्य करें

नवरात्रि के दौरान हम दिव्य मां का आह्वान, पूजा, सम्मान, ध्यान और प्रार्थना करते हैं कि वे हमें बंधनों और अज्ञानता को दूर करने में मदद करें और हमें हमे हमारे विचारों, शब्दों और कार्यों में अपने उच्चतम रचनात्मक रूप में उस सर्वोच्च ऊर्जा को हमारे भीतर प्रवाहित करने में सक्षम बनाएं।

प्रत्येक तिथि के लिए दिव्य मंत्र

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे। ॐ शैलपुत्री देव्यै नमःII

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे। ॐ ब्रह्मचारिणी देव्यै नमःII

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे। ॐ चंद्रघंटाये देव्यै नमःII

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे। ॐ कूष्मांडा देव्यै नमःII

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे। ॐ स्कंदमाता देव्यै नमःII

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे। ॐ कात्यायनी देव्यै नमःII

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे। ॐ कालरात्रि देव्यै नमःII

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे। ॐ महागौरी देव्यै नमःII

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे। ॐ सिद्धिदात्री देव्यै नमःII
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