» रोचक संसार
महादेव का पवित्र महीना सावन विशेष: महादेव के गले में विराजित नागदेव, जानें इसके पीछे की कथा
Go Back | Yugvarta , Jul 06, 2025 10:05 PM
0 Comments


0 times    0 times   

News Image LUCKNOW : 
विश्व के नाथ को समर्पित सावन का पवित्र महीना 11 जुलाई से शुरू होने वाला है। महादेव के साथ ही उनके भक्तों के लिए भी यह महीना बेहद मायने रखता है। शिवालयों में लगी लंबी कतारें ‘बोल बम’ और ‘हर हर महादेव’ की गूंज चहुंओर सुनाई देगी। भोलेनाथ का स्वरूप निराला है। उनका रूप जितना रहस्यमय है, उतना ही आकर्षक भी है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि उनके शरीर पर भस्म, माथे पर चंद्रमा, जटा में गंगा और गले में नागदेव क्यों विराजमान रहते हैं? शरीर पर भस्म, माथे पर चंद्रमा, जटा में गंगा और गले में नागदेव—हर भक्त के मन में जिज्ञासा जगाता है। पौराणिक ग्रंथों में इन सवालों का सरल अंदाज में जवाब मिलता है और भोलेनाथ के स्वरूप और श्रृंगार के बारे में भी विस्तार से जानकारी मिलती है।
महादेव को ‘भस्मभूषित’ भी कहा जाता है, क्योंकि वह अपने शरीर पर भस्म लगाते हैं। शिव पुराण के अनुसार, भोलेनाथ को भस्म बेहद प्रिय है। ये वैराग्य और नश्वरता का प्रतीक है। यह दिखाता है कि यह संसार क्षणभंगुर है और आत्मा ही शाश्वत है। शिव यह संदेश देते हैं कि सांसारिक मोह को त्यागकर आत्मिक शांति की ओर बढ़ना चाहिए। इतना ही नहीं, भस्म में औषधीय गुण भी माने जाते हैं, जो नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है।
पौराणिक कथा के अनुसार, जब माता सती ने क्रोध में आकर खुद को अग्नि के हवाले कर दिया था, उस वक्त महादेव ने उनका शव लेकर धरती से आकाश तक हर जगह भ्रमण किया। विष्णु जी से उनकी यह दशा देखी नहीं गई और उन्होंने माता सती के शव को छूकर भस्म में बदल दिया था। अपने हाथों में भस्म देखकर शिव जी और परेशान हो गए और उनकी याद में वो राख अपने शरीर पर मल ली।
धार्मिक ग्रंथों में यह भी उल्लेख मिलता है कि भगवान शिव कैलाश पर्वत पर वास करते थे और वहां बहुत ठंड होती थी। ऐसे में खुद को ठंड से बचाने के लिए वह शरीर पर भस्म लगाते थे।
‘भस्मभूषित’ के साथ ही शिव को ‘चंद्रशेखर’ भी कहते हैं, क्योंकि उनके मस्तक पर चंद्रमा सुशोभित है। भागवत पुराण के अनुसार, जब चंद्रमा ने दक्ष प्रजापति की 27 पुत्रियों (नक्षत्रों) से विवाह किया, लेकिन केवल रोहिणी को प्राथमिकता दी, तो दक्ष ने उन्हें क्षय रोग का श्राप दे दिया था। इसके बाद चंद्रमा ने शिव की तपस्या की, जिससे प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें अपने मस्तक पर रहने का वरदान दिया।
महादेव की जटाओं में गंगा का वास है, इसलिए उन्हें ‘गंगाधर’ कहा जाता है। हरिवंश पुराण के अनुसार, जब पवित्रता और मुक्ति की दात्री गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरित हुईं, तो उनकी प्रचंड धारा को संभालने के लिए शिव ने उन्हें अपनी जटाओं में बांध लिया था।


प्रचलित मान्यता के अनुसार 12 ज्योतिर्लिंगों में महादेव स्वयं प्रकाश रूप में विराजमान हैं। शिवपुराण कथा में 12 ज्योतिर्लिंगों के वर्णन की महिमा का वर्णन किया गया है। ये 12 ज्योतिर्लिंग मल्लिकार्जुनम, वैद्यनाथम, केदारनाथम, सोमनाथम, भीमाशंकरम, नागेश्वरम, विश्वेश्वरम, त्र्यंबकेश्वर, रामेश्वर, घृष्णेश्वरम, ममलेश्वरम और महाकालेश्वरम हैं। सभी 12 ज्योतिर्लिंगों और मंदिरों में जो चीजें आम हैं, उनमें भगवान शिव के गले में नाग (सर्प), बालों में गंगा, सिर पर चंद्रमा और हाथ में त्रिशूल-डमरू इसके प्रतीक हैं।

महादेव के नाग के पीछे की कहानी

इन सभी चीजों को धारण करने के पीछे अलग-अलग महत्व हैं। कहा जाता है कि नाग महादेव को अपना देवता मानते हैं। उनके गले में सर्प की माला भी लिपटी हुई है। पौराणिक कथा के अनुसार नागराज वासुकी महादेव के अनन्य भक्त थे। वे हमेशा उनकी पूजा में लीन रहते थे। समुद्रमंथन के दौरान नागराज वासुकी ने रस्सी का काम किया था। नागराज की भक्ति देखकर महादेव प्रभावित हुए। उन्होंने वासुकी को अपने गले में लिपटे रहने का वरदान दिया। इसके बाद नागराज वासुकी अमर हो गए। नाग पंचमी का पर्व सावन के महीने में मनाया जाता है। इस दिन मंदिरों में नागों की विशेष रूप से पूजा की जाती है।


औढरदानी को ‘नागेंद्रहार’ भी कहते हैं, क्योंकि उनके गले में नागराज वासुकी विराजते हैं अर्थात गले में नाग रूपी हार को धारण किए हुए हैं। शिव पुराण के अनुसार, समुद्र मंथन में वासुकी ने रस्सी बनकर शिव के प्रति अपनी भक्ति दिखाई थी। प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें अपने गले में स्थान दिया और नागलोक का राजा बनाया।
  Yugvarta
Previous News
0 times    0 times   
(1) Photograph found Click here to view            | View News Gallery


Member Comments    



 
No Comments!

   
ADVERTISEMENT






Member Poll
कोई भी आंदोलन करने का सही तरीका ?
     आंदोलन जारी रखें जनता और पब्लिक को कोई परेशानी ना हो
     कानून के माध्यम से न्याय संगत
     ऐसा धरना प्रदर्शन जिससे कानून व्यवस्था में समस्या ना हो
     शांतिपूर्ण सांकेतिक धरना
     अपनी मांग को लोकतांत्रिक तरीके से आगे बढ़ाना
 


 
 
Latest News
Uttrakhand: आउटसोर्स से योग प्रशिक्षकों के 117
नियमित रूप से पद्मासन करने से शारीरिक
Skin Glow:अपनी त्वचा को साफ और चमकदार
महादेव का पवित्र महीना सावन विशेष: महादेव
शुभमन गील की टीम ने एडबेस्टन में
Devshayani Ekadashi 2025: भगवन विष्णु को समर्पित
 
 
Most Visited
Rice water & Methi Dana Toner for
(973 Views )
मुकुल देव आखिरी बार इस फिल्म में
(493 Views )
उत्तराखंड : केदारनाथ में हेलीकॉप्टर क्रैश, 7
(469 Views )
‘Justice Served’ : India Launches ‘Operation Sindoor’,
(418 Views )
प्रो. के.जी. सुरेश को मिली इंडिया हैबिटेट
(410 Views )
भारत और पाकिस्तान युद्धविराम पर सहमत :
(403 Views )