Reserve Bank Of India / बजट को लेकर RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा का आया ये बयान, टैक्स रिलीफ पर जानें क्या कहा
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Yugvarta
, Feb 08, 2025 10:01 AM 0 Comments
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DELHI : Reserve Bank Of India: बीते 1 फरवरी को पेश किए गए बजट 2025-26 में वित्त मंत्री द्वारा 12 लाख रुपये तक की आय को कर मुक्त करने की घोषणा ने सुर्खियां बटोरी। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने भी इस केंद्रीय बजट की सराहना की और इसे उत्कृष्ट बताया। उन्होंने मौद्रिक नीति की समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा कि यह बजट आर्थिक विकास को गति देने और महंगाई को नियंत्रित करने में मददगार साबित होगा।
मध्यम वर्ग को कर राहत और उसके प्रभाव
मल्होत्रा ने कहा कि मध्यम वर्ग को दी गई 1 लाख करोड़ रुपये की कर राहत
बजट 2025-26 में 12 लाख रुपये तक की आय को कर-मुक्त करने की घोषणा चर्चाओं में रही। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बजट की प्रशंसा करते हुए इसे आर्थिक विकास और महंगाई नियंत्रण में सहायक बताया। उन्होंने 0.25% रेपो दर कटौती और राजकोषीय घाटे को 4.4% तक सीमित करने को महत्वपूर्ण कदम बताया।
से उपभोग बढ़ेगा, लेकिन इसका महंगाई पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा। उनके अनुसार, यह राहत आम जनता की क्रय शक्ति बढ़ाएगी, जिससे आर्थिक गतिविधियों को बल मिलेगा।
राजकोषीय घाटे में सुधार
गवर्नर ने बताया कि सरकार ने राजकोषीय घाटे को 4.4 प्रतिशत तक कम कर दिया है, जो पहले निर्धारित 4.5 प्रतिशत से बेहतर है। उन्होंने इसे सरकार की राजकोषीय नीतियों की सफलता के रूप में देखा और कहा कि यह देश की आर्थिक स्थिरता को मजबूत करेगा।
मुद्रास्फीति और खाद्य पदार्थों की कीमतें
मल्होत्रा ने बताया कि उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति में खाद्य पदार्थों की कीमतों की हिस्सेदारी लगभग 46 प्रतिशत है। इनमें सब्जियों की कीमत का योगदान 6 प्रतिशत, फलों का 2.5 प्रतिशत और दालों का 2.9 प्रतिशत है। बजट में इन वस्तुओं पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिससे दीर्घकालिक रूप से महंगाई को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
रेपो दर में कटौती का प्रभाव
आरबीआई ने पांच वर्षों में पहली बार 0.25 प्रतिशत की रेपो दर कटौती की घोषणा की। इस फैसले के पीछे केंद्रीय बजट सहित विभिन्न आर्थिक कारकों का आकलन किया गया। गवर्नर ने यह भी कहा कि देश में उत्पादन क्षमता पर्याप्त है, जिससे बढ़ी हुई खपत के बावजूद मुद्रास्फीति पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
आर्थिक स्थिरता और भविष्य की योजना
मल्होत्रा ने यह भी उल्लेख किया कि आरबीआई आंतरिक रूप से आर्थिक पूंजी ढांचे की समीक्षा कर रहा है, जो सरकार को हस्तांतरित किए जाने वाले अधिशेष की सीमा निर्धारित करता है। इसके अलावा, वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए जरूरी नियम बनाते समय विनियमन की लागत को ध्यान में रखा जा रहा है।