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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग, ढाका ने नई दिल्ली को भेजा राजनयिक नोट
Go Back | Yugvarta , Dec 23, 2024 07:10 PM
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News Image Delhi :  ढाका । नई दिल्ली। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय की तरफ से डॉ. तौहीद हुसैन ने कहा है कि बांग्लादेश ने पूर्व सीएम शेख हसीना को आधिकारिक तौर पर वापस भेजने की मांग की है। तौहीद हुसैन ने मंत्रालय में मीडिया से बात करते समय कहा है कि, बांग्लादेश की तरफ से भारत को नोट वर्बल भेजा गया है। जिसमें शेख हसीना की प्रत्यार्पण की मांग की है। बांग्लादेश की सरकार चाहती है कि शेख हसीना को न्यायिक प्रक्रिया के लिए भारत में वापस लाया जाए। हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि बांग्लादेश की तरफ से शेख हसीना

बांग्लादेश की सरकार मांग रही शेख हसीना को वापस भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण संधि

की मांग की हो। लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है कि औपचारिक रूप से पत्र लिखकर प्रत्यर्पण की मांग की हो।


अंतरिम सरकार के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन ने सोमवार दोपहर ढाका में कहा, "हमने भारत को सूचित किया है और न्यायिक उद्देश्यों के लिए शेख हसीना की वापसी का अनुरोध किया है। यह एक नोट वर्बेल (राजनयिक नोट) के माध्यम से संप्रेषित किया गया है।"

इससे पहले दिन में देश के गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी ने कहा कि उनके मंत्रालय ने भारत से अपदस्थ प्रधानमंत्री की वापसी के लिए हुसैन के कार्यालय को पत्र लिखा है।

देश के प्रमुख बंगाली दैनिक प्रथम आलो ने चौधरी के हवाले से कहा, "हमने उसके प्रत्यर्पण के संबंध में विदेश मंत्रालय को पत्र भेजा है। प्रक्रिया अभी चल रही है। उनका हमारे साथ प्रत्यर्पण समझौता है।"

शेख हसीना की सत्ता के पतन के बाद से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों और विशेष तौर पर हिंदू समुदाय और उनके धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया जाने लगा। मोहम्मद युनूस के नेतृत्व में स्थापित अंतरिम सरकार पर अल्पसंख्यकों को सुरक्षा न दे पाने के आरोप लगते रहे हैं।

भारत ने लगातार हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ धमकियों और टारगेटेड हमलों के मुद्दे को बांग्लादेश सरकार के सामने मजबूती से उठाया है।

पिछले दिनों विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने अपनी बांग्लादेश यात्रा के दौरान बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ चरमपंथी बयानबाजी और हिंसा की घटनाओं को लेकर पड़ोसी देश के साथ नई दिल्ली की चिंताएं साझा की।

शेख हसीना और उनकी पार्टी आवामी लीग अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों की कड़े शब्दों में निंदा करती रही है।

बांग्लादेश और भारत के बीच की प्रत्यर्पण संधि

भारत और बांग्लादेश के बीच 2013 से प्रत्यर्पण संधि है। इस संधि के तहत दोनों देश एक दूसरे के अपराधियों को शरण नहीं दे सकते हैं। उनको अपराधियों को वापस सौंपना पड़ेगा। भारत और बांग्लादेश के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति अपराध करने के बाद या अपराध के मामले में जुड़े रहने के बाद अगर उसको एक साल की सजा हुई है तो, उसको प्रत्यर्पित किया जाएगा। संधि के अनुच्छेद 10(3) के तहत, प्रत्यर्पण की मांग करने वाले देश को दूसरे देश के सामने अरेस्ट वारंट दिखाना होगा। इसके लिए आरोपों का साबित होना भी जरूरी नहीं है। बता दें, साल 2016 से पहले प्रत्यर्पण की मांग करने वाले देश को सबूत पेश करने होते थे। लेकिन प्रत्यर्पण प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए इस नियम को हटा दिया गया था।

भारत और बांग्लादेश के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि के अनुसार, अगर कोई भी व्यक्ति राजनैतिक अपराधों में शामिल है तो प्रत्यर्पण से मना किया जा सकता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति शरण देने वाले देश को ये भरोसा दिला देता है कि राजनीतिक नफरत के चलते उसके प्रत्यर्पण की मांग की जा रही है और वापस जाने पर उसकी जान को खतरा है तो, ऐसी परिस्थिति में प्रत्यर्पण से मना किया जा सकता है।
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