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Ganesh Chaturthi in Pune: बहुत प्रसिद्ध है पुणे का दगड़ू सेठ मंदिर, यहां जाने इसकी खासियत और इतिहास, दर्शन करने के 30 दिनों के अंदर पूरी होतीं है मनोकामना
Go Back | Yugvarta , Sep 06, 2024 05:30 PM
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News Image Lucknow : 
Pune: हमारे हिंदू धर्म मे कई देवी देवताओं की पूजा की जाती है । सभी देवी देवताओं मे गणपति जी प्रथम पूज्यनीय है । धार्मिक ग्रंथों में गणेश जी को सबसे अधिक महत्‍व दिया गया है और सभी देवी-देवताओं से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। हमारे देश मे गणेश जी के कई प्रसिद्ध मंदिर है जहां पूरे साल भक्तों का तांता लगा रहता है ।आज हम आपको ऐसे ही पुणे के एक गणपति मंदिर के बारें में बताने जा रहें है ,जिसका नाम दगड़ू सेठ गणपति मंदिर है ।यह मंदिर महाराष्‍ट्र के सुंदर नगर पुणे में है। यहां आने के लियें आपकों किसी समय का इंतजार नही करना पड़ेगा। भाद्रपद महीने मे पड़ने वाले गणेश उत्सव मे यहां भक्तों की भीड़ और मंदिर की सजावट देखतें बनती है ।

Pune: इस मन्दिर का नाम कैसे पड़ा:
इस मंदिर के निर्माण के पीछे कुछ रोचक तथ्य प्रचलित है । इस गणपति मंदिर का निर्माण दगडूशेठ हलवाई द्वारा कराया गया था। दगड़ूसेठ हलवाई कलकत्‍ता से पुणे मिठाइयों का व्‍यापार करने आए थे। उनकी पत्‍नी और बेटा भी साथ में पुणे आए थे। उस दौरान पूणे में प्लेग नामक महामारी फैली हुई थी। अपने पुत्र की अकाल मृत्यु से शोकाकुल दगडूशेठ और उनकी पत्नी अवसादग्रस्त हो गए। तब उनके आध्यात्मिक गुरु श्री माधवनाथ महाराज ने उन्हें इस दुख से उबरने के लिए भगवान गणेश का एक मंदिर बनवाने का सुझाव दिया। पंडित जी की सलाह पर वर्ष 1893 में दगड़ूसेठ हलवाई ने एक भव्य गणपति मंदिर का निर्माण कराया और गणपति प्रतिमा स्थापित की।

इस मंदिर मे पूजा अर्चना कि शुरुआत लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने की थी ।
तभी से यहां हर साल गणेश उत्सव की धूम लगी रहती है । यह मंदिर अपनी भव्यता और यहां आने वाले हर भक्त की मुराद पूरी होने के कारण प्रसिद्ध है। तभी से इस मंदिर को दगड़ूसेठ हलवाई के नाम से ही जाना जाता है। यहां भक्तों की भीड़ सुबह से ही मंदिर के बाहर लग जाती है और जब तक मंदिर बंद नहीं जो जाता तब तक यह भीड़ कम नहीं होतीं है । ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में जो भी अपनी मुराद लेकर आता है वह कभी अधूरी नहीं रहती है और गणपति उसे जरूर पूरा करते हैं।

मूर्ती की बनावट:
दगड़ूसेठ हलवाई गणपति मंदिर में भगवान गणेश की 7.5 फीट ऊंची और 4 फीट चौड़ी प्रतिमा रखी गई है। इस प्रतिमा के केवल चेहरे पर ही 8 किलो सोने का काम किया गया है। इनका मुकुट 9 किलो से भी अधिक वजन का है ।यहां की प्रतिमा को हैवी सोने की ज्वेलरी से सजाया गया है और यह प्रतिमा सभी गणेश प्रतिमाओं मे बेहद खूबसूरत है । यह मंदिर वास्तुशास्त्र के लिहाज से बनाया गया है। मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर जय और विजय नामक दो प्रहरियों की संगमरमर की मूर्तियां स्थित की गई हैं। आज श्री गणेशजी के आशीर्वाद से ’श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई सार्वजनिक गणपती ट्रस्ट’ ये एक समाज की अगुवाई करनेवाली समृद्ध संस्था बन चुकी है ।
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