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जॉर्जिया पहुंचे भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर, रेड कार्पेट पर भव्य स्‍वागत
Go Back | Yugvarta , Jul 10, 2021 07:05 PM
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News Image Delhi :  तिब्‍लिसी। जॉर्जिया पहुंचे भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर का रेड कार्पेट से स्वागत किया गया। यह किसी भी भारतीय विदेश मंत्री की पहली जॉर्जिया यात्रा है। रूस के नाराज होने के डर से कभी भी कोई भारतीय नेता ने इस देश की यात्रा नहीं की है।
रूस के कट्टर विरोधी देश जॉर्जिया की दो दिवसीय यात्रा पर पहुंचे भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर का रेड कार्पेट स्वागत किया गया। राजधानी तिब्लिसी के एयरपोर्ट पर जयशंकर को रिसीव करने के लिए खुद जॉर्जिया के विदेश मंत्री डेविड जलकालियानी पहुंचे हुए थे। 1991 में सोवियत संघ से आजादी पाने के बाद यह किसी

जॉर्जिया के विदेश मंत्री डेविड जलकालियानी ने एस जयशंकर के स्वागत की तस्वीरें ट्वीट करते हुए लिखा कि जॉर्जिया की पहली यात्रा पर आए मेरे समकक्ष डॉ एस जयशंकर का स्वागत करते हुए मुझे खुशी हो रही है। वो जॉर्जिया की रानी केतेवन के अवशेष लाए हैं। यह यात्रा निश्चित रूप से हमारे देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने और हमारे संबंधों को एक नए स्तर पर अपग्रेड करने में एक बड़ी भूमिका निभाने के लिए है

भी भारतीय विदेश मंत्री की पहली जॉर्जिया यात्रा है। इससे पहले रूस के नाराज होने के डर से किसी भी भारतीय नेता ने जॉर्जिया की यात्रा नहीं की थी।
जयशंकर ने जॉर्जिया की महारानी का अवशेष सौंपा
जॉर्जिया की बरसों पुरानी मांग पूरी करते हुए जयशंकर ने 17वीं सदी की महारानी संत केतेवन के अवशेष जॉर्जियाई सरकार को सौंप दिए। उनके अवशेष 2005 में पुराने गोवा के संत ऑगस्टिन कांवेंट में मिले थे। ऐसा माना जाता है कि ये अवशेष 1627 में गोवा लाए गए थे।
जयशंकर ने ट्वीट कर बताया कि विदेश मंत्री डेविड जलकालियानी ने तिब्लिसी में पूरी गरमजोशी से स्वागत किया। संत महारानी केतेवन के पवित्र अवशेष जॉर्जिया के लोगों को सौंप कर अच्छा लग रहा है।
जॉर्जियाई विदेश मंत्री ने ट्वीट कर जयशंकर को सराहा
जॉर्जिया के विदेश मंत्री डेविड जलकालियानी ने एस जयशंकर के स्वागत की तस्वीरें ट्वीट करते हुए लिखा कि जॉर्जिया की पहली यात्रा पर आए मेरे समकक्ष डॉ एस जयशंकर का स्वागत करते हुए मुझे खुशी हो रही है। वो जॉर्जिया की रानी केतेवन के अवशेष लाए हैं। यह यात्रा निश्चित रूप से हमारे देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने और हमारे संबंधों को एक नए स्तर पर अपग्रेड करने में एक बड़ी भूमिका निभाने के लिए है।
क्या रूस को जवाब देने की कोशिश कर रहा भारत?
कूटनीतिक हलकों में भारतीय विदेश मंत्री की जॉर्जिया यात्रा को रूस को कड़ा जवाब के रूप में देखा जा रहा है। आज से पहले रूस को नाराज न करने के उद्देश्य से भारत जॉर्जिया के साथ संबंधों को बढ़ाने से बचता आया है लेकिन इस बाद एस जयशंकर की इस यात्रा को भारतीय कूटनीति में बड़ा बदलाव माना जा रहा है। इसी साल 6 अप्रैल को रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव 19 घंटे की भारत यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे थे। तब रूस की तरफ से बताया गया था कि इस यात्रा का उद्देश्य वार्षिक भारत-रूस सम्मेलन के लिए तैयारियों को अंतिम रूप देना है। भारत यात्रा के बाद रूसी विदेश मंत्री पाकिस्तान के दौरे पर भी पहुंचे थे।
रूस-जॉर्जिया संबंध भारत और पाकिस्तान की तरह
जॉर्जिया की आजादी के बाद से ही रूस के साथ उसके संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं। रूसी सेना ने जॉर्जियाई क्षेत्र के लगभग 20 फीसदी हिस्से पर 1990 के दशक में सोवियत संघ के टूटने के बाद से कब्जा किया हुआ है। इस क्षेत्र में दक्षिणी ओसेशिया और अबखाजिया का क्षेत्र भी शामिल है जहां के लोग आज भी रूसी पासपोर्ट पर यात्रा करते हैं। 2008 में दोनों देश बड़ी जंग भी लड़ चुके हैं। जॉर्जिया अमेरिका का सहयोगी देश है। इस कारण भी उसका रूस के साथ तनाव बना रहता है।
9 साल में पहली बार पाकिस्तान पहुंचे रूसी विदेश मंत्री
भारत के साथ संबंधों को लेकर रूस शुरू से ही पाकिस्तान से किनारा करता रहा है लेकिन 2009 के बाद भारत और अमेरिका के बीच घनिष्ठ संबंधों के बनने से बेचैन रूस ने पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना शुरू कर दिया। यही कारण है कि भारत के लाख विरोध के बावजूद रूसी सेना ने पाकिस्तान के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास किया।
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