बर्थडे स्पेशल- संगीत के दुनिया के बेताज बादशाह और साथ ही एक मिलनसार इंसान 'पंचम दा'
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Rupali Mukherjee
, Jun 26, 2025 08:08 PM 0 Comments
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Lucknow :
संगीत की दुनिया में क्रांति लाने वाले राहुल देव बर्मन किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उन्हें लोग प्यार से 'पंचम दा' कहकर बुलाते थे। उनकी तैयार की गई धुनों ने कई पीढ़ियों को झूमने पर मजबूर किया है। वह न केवल अपने संगीत से, बल्कि मधुर स्वभाव से भी लोगों को अपना बना लेते थे।
आर.डी. बर्मन का जन्म 27 जून 1939 को कोलकाता में हुआ था। बचपन से ही उनका संगीत में गहरा लगाव था। उन्होंने अपने पिता एस.डी. बर्मन की तरह संगीत को ही अपनी जिंदगी बना ली। उस्ताद अली अकबर खान, पंडित समता प्रसाद और सलिल चौधरी ने उन्हें संगीत सिखाया।
एक्टर सचिन पिलगांवकर ने एक किस्सा सुनाते हुए बताया था कि कैसे 'पंचम दा' ने उन्हें सहज और खास महसूस कराया था, सिर्फ इसलिए कि सचिन उनके पिता का भी नाम था।
सचिन पिलगांवकर ने बताया कि 'बालिका-वधू' फिल्म को लेकर जब वह पहली बार 'पंचम दा' से मिले थे, तब वह उनके स्वभाव से अनजान थे। इस कारण, वह उस समय थोड़ा घबराए हुए थे। लेकिन जब 'पंचम दा' ने उनसे बात की, तो माहौल पूरी तरह बदल गया।
अभिनेता ने बताया, ''मेरी घबराहट को दूर करने के लिए उन्होंने मुझसे कहा कि वह कभी भी मुझसे नाराज नहीं हो सकते, क्योंकि मेरा और उनके पिताजी का नाम एक ही है। यह बात सुनकर मेरा डर कुछ कम हुआ और मैंने खुलकर बात करनी शुरू कर दी।''
बता दें कि आर.डी. बर्मन के पिता का नाम सचिन देव बर्मन है।
सचिन ने आगे बताया कि पंचम दा ने उन्हें अपने कंपाउंड में टहलने के लिए बुलाया और उनके बोलने-चलने के अंदाज पर ध्यान दिया। इसके बाद उन्होंने एक प्यारी सी धुन, 'बड़े अच्छे लगते हैं...' गुनगुनाई। यह पल उनके लिए बेहद खास था, क्योंकि इससे उन्हें महसूस हुआ कि 'पंचम दा' सिर्फ एक महान संगीतकार ही नहीं, बल्कि एक दयालु इंसान भी हैं।
आर.डी. बर्मन ने अपने करियर की शुरुआत 1961 में फिल्म 'सोलवा साल' से की, लेकिन उनकी पहली हिट फिल्म 1966 में आई 'तीसरी मंजिल' थी। इसके गाने लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हुए। इसके बाद उन्होंने 'पड़ोसन', 'प्रेम पुजारी', 'यादों की बारात', 'दीवार', 'खेल खेल में', 'वारंट', 'आंधी', 'खुशबू', 'धरम करम', और 'शोले' जैसी कई हिट फिल्मों में संगीत दिया।