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सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का लखनऊ नोड बनेगा भारत की सामरिक शक्ति का केंद्र
Go Back | Yugvarta , May 08, 2025 08:23 PM
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News Image Lucknow :  लखनऊ, 8 मई। भारत और पाकिस्तान के बीच जारी जंगी हालातों के बीच भारत अब अपनी सामरिक क्षमता को और धार देने जा रहा है। दुनिया की सबसे विध्वंसक मानी जाने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ‘ब्रह्मोस’ का निर्माण अब उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में होने जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ड्रीम परियोजना डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लखनऊ नोड पर 11 मई को ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण यूनिट का उद्घाटन होने वाला है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा स्थापित की जा रही यह यूनिट 300 करोड़ रुपए के निवेश से तैयार हुई है और भारत को आत्मनिर्भर रक्षा प्रणाली की दिशा

रक्षा उत्पादन का नया हब बनेगा लखनऊ-
ब्रह्मोस यूनिट के साथ-साथ, डिफेंस कॉरिडोर के अंतर्गत योगी सरकार ने 12 अन्य कंपनियों को कुल 117.35 हेक्टेयर भूमि आवंटित की है। इनमें एरोलॉय टेक्नोलॉजी को 20 हेक्टेयर भूमि दी गई है, जिसका प्रथम चरण में 320 करोड़ का निवेश पूर्ण हो चुका है। इस कंपनी के उत्पादों का उपयोग स्पेस मिशन (जैसे चंद्रयान) और लड़ाकू विमानों में हो रहा है। इन परियोजनाओं के जरिए लगभग 3,000 से अधिक रोजगार सृजित होंगे और लखनऊ गोला-बारूद, मिसाइल सिस्टम, रक्षा पैकेजिंग, ड्रोन और छोटे हथियारों के उत्पादन का प्रमुख केंद्र बनकर उभरेगा। इससे न केवल उत्तर प्रदेश की औद्योगिक छवि को वैश्विक पहचान मिलेगी, बल्कि भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को भी मजबूती मिलेगी।

में एक बड़ी उपलब्धि दिलाने वाली है। सबसे खास बात यह है कि योगी सरकार ने दिसंबर 2021 में ब्रह्मोस प्रोजेक्ट के लिए लखनऊ में 80 हेक्टेयर भूमि निःशुल्क आवंटित की थी। सिर्फ 3.5 वर्षों में इस परियोजना को निर्माण से उत्पादन की अवस्था तक लाना प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शा रहा है।

सीएम योगी का ड्रीम प्रोजेक्ट-
डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर परियोजना का संचालन कर रही यूपीडा के एसीईओ श्रीहरि प्रताप शाही ने बताया कि सीएम योगी की मंशा के अनुरूप, प्रदेश सरकार की ओर से ब्रह्मोस मिसाइल की मैन्युफैक्चरिंग के लिए भूमि निशुल्क उपलब्ध कराई गई है और यूनिट के विकास पर लगातार नजर रखी गई है। नतीजा, मात्र साढ़े तीन वर्ष में यह यूनिट बनकर उत्पादन के लिए तैयार है। लखनऊ नोड पर ब्रह्मोस के साथ ही अन्य डिफेंस इक्विपमेंट्स बनाए जाने की तैयारी है, जो डिफेंस सेक्टर में लखनऊ और उत्तर प्रदेश को एक नई पहचान देने का काम करेगा।

भारत की सैन्य शक्ति को मिलेगी नई धार-
भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव को देखते हुए उत्तर प्रदेश में ब्रह्मोस जैसी रणनीतिक मिसाइल का बनना बहुत महत्वपूर्ण है। यह कदम भारत की सैन्य ताकत को और मजबूत करेगा और उत्तर प्रदेश को देश की रक्षा में एक खास भूमिका निभाने वाला राज्य बना देगा। इस प्लांट के शुरू होने से उत्तर प्रदेश सीधे तौर पर देश की सुरक्षा और विकास में योगदान देगा। यह एक बड़ी और जरूरी परियोजना है जिसमें उत्तर प्रदेश की बड़ी भागीदारी होगी। ब्रह्मोस मिसाइल की यह यूनिट राज्य की पहली अत्याधुनिक और हाई-टेक यूनिट होगी। इससे उत्तर प्रदेश के डिफेंस कॉरिडोर में एयरोस्पेस से जुड़ी इकाइयों और उद्योगों का विकास होगा। साथ ही, राज्य में नई और आधुनिक निर्माण तकनीकें भी शुरू हो सकेंगी।

रोजगार और आत्मनिर्भरता को मिलेगी नई गति-
'ब्रह्मोस' प्रोजेक्ट शुरू होने से उत्तर प्रदेश में पहले से मौजूद एयरोस्पेस कंपनियों को उनके काम और अनुभव के हिसाब से कई नए मौके मिलेंगे। इससे नई तरह की मशीनें बनाने की तकनीक और जांच की सुविधाएं भी तैयार की जाएंगी। इस प्रोजेक्ट से लोगों को नौकरी भी मिलेगी। करीब 500 इंजीनियरों और तकनीशियनों को सीधे काम मिलेगा। इसके अलावा, कई हजार कुशल, अर्द्ध-कुशल और सामान्य काम करने वाले लोगों को भी परोक्ष रूप से रोजगार के अवसर मिलेंगे। इस यूनिट को चलाने में मदद करने वाले बाकी उद्योगों में भी बहुत से लोगों को काम मिलेगा।

भारत और रूस का ज्वाइंट वेंचर है ब्रह्मोस-
उल्लेखनीय है कि ब्रह्मोस एयरोस्पेस की स्थापना भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और रूसी संघ की सरकार के ‘जेएससी’ ‘एमआईसी’ एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनि‍या (NPOM) के संयुक्त उद्यम के रूप में की गई थी। ‘ब्रह्मोस’ नाम दो महान राष्ट्रों के प्रतीकस्वरूप रखा गया है, जो दो महान नदियों — ब्रह्मपुत्र की प्रचंडता और मॉस्कवा की शांति — को दर्शाता है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस की स्थापना भारत की ओर से 50.5% और रूस की ओर से 49.5% हिस्सेदारी के साथ की गई थी। यह अपने प्रकार का पहला रक्षा संयुक्त उद्यम (JV) है जिसे भारत सरकार ने किसी विदेशी सरकार के साथ मिलकर स्थापित किया है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल के डिजाइन, विकास, उत्पादन और विपणन (मार्केटिंग) की जिम्मेदारी निभाता है, जिसमें भारतीय और रूसी उद्योगों का सक्रिय योगदान होता है।
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