» राज्य
भजनलाल सरकार का बड़ा फैसला : गहलोत राज में बने 9 जिले और 3 संभाग खत्म, सीईटी स्कोर अब 3 साल तक मान्य
Go Back | Yugvarta , Dec 28, 2024 07:58 PM
0 Comments


0 times    0 times   

News Image Jaipur : 
जयपुर। भजनलाल सरकार द्वारा गहलोत शासन में बनाए गए 9 जिलों और 3 संभागों को समाप्त करने का निर्णय प्रशासनिक व्यवस्था को अधिक व्यवहारिक और सुगठित बनाने की दिशा में एक ठोस कदम के रूप में देखा जा सकता है। यह निर्णय वित्तीय संसाधनों के उचित उपयोग और जनसंख्या के संतुलन को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।


नए जिलों और संभागों के गठन में कई व्यवहारिक समस्याएं थीं, जैसे कि पर्याप्त तहसीलें न होना, पद सृजन और कार्यालयों की व्यवस्था की कमी। समीक्षा समिति ने इन जिलों की उपयोगिता को लेकर स्पष्ट निष्कर्ष निकाला, जिससे यह निर्णय लिया गया।

ये जिले रहेंगे : बालोतरा,ब्यावर,डीग,डीडवाना-कुचामन,कोटपूतली-बहरोड, खैरथल-तिजारा, फलौदी और सलूंबर।

ये जिले निरस्त- दूदू,केकड़ी,शाहपुरा, नीमकाथाना, गंगापुरसिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, अनूपगढ़, सांचौर।

ये संभाग खत्म् : सीकर ,पाली और बांसवाड़ा संभाग को खत्म किया गया

समान पात्रता परीक्षा (सीईटी) के स्कोर को तीन साल तक मान्य रखने का फैसला भी सराहनीय है। यह छात्रों को राहत देगा और प्रशासनिक परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं के लिए अधिक अवसर प्रदान करेगा। साथ ही, खाद्य सुरक्षा योजना में नए लाभार्थियों को जोड़ने का अभियान समाज के वंचित वर्गों के लिए सकारात्मक कदम है।

गहलोत शासन के दौरान नए जिलों और संभागों के गठन को लेकर उठाए गए कदमों की आलोचना भी स्वाभाविक है। इन इकाइयों को बिना समुचित योजना और संसाधनों के गठन करना प्रशासनिक अक्षमता को दर्शाता है। समीक्षा समिति के निष्कर्ष बताते हैं कि नए जिलों की घोषणा राजनीतिक लाभ के लिए की गई थी, न कि जनता के दीर्घकालिक हितों को ध्यान में रखकर।

भजनलाल सरकार द्वारा इन जिलों को समाप्त करना उचित हो सकता है, लेकिन इससे उन क्षेत्रों में जनता के बीच असंतोष भी उत्पन्न हो सकता है जो नए जिलों के गठन से लाभान्वित होने की उम्मीद कर रहे थे। यह निर्णय, हालांकि तर्कसंगत है, इसे लागू करने की प्रक्रिया और समय सीमा को लेकर विवाद उत्पन्न कर सकता है।

जनगणना रजिस्ट्रार जनरल द्वारा 1 जनवरी से सीमाओं को फ्रिज करने के कारण सरकार पर 31 दिसंबर तक निर्णय लेने का दबाव बना, लेकिन यह एक अल्पकालिक समाधान की तरह प्रतीत होता है। इससे प्रशासनिक प्रक्रिया में तेजी लाई गई, परंतु दीर्घकालिक योजना का अभाव स्पष्ट है।


इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि प्रशासनिक इकाइयों के गठन में गहन योजना, उचित संसाधनों का प्रबंधन और जनता की जरूरतों का विश्लेषण अत्यंत आवश्यक है।
  Yugvarta
Previous News Next News
0 times    0 times   
(1) Photograph found Click here to view            | View News Gallery


Member Comments    



 
No Comments!

   
ADVERTISEMENT




Member Poll
कोई भी आंदोलन करने का सही तरीका ?
     आंदोलन जारी रखें जनता और पब्लिक को कोई परेशानी ना हो
     कानून के माध्यम से न्याय संगत
     ऐसा धरना प्रदर्शन जिससे कानून व्यवस्था में समस्या ना हो
     शांतिपूर्ण सांकेतिक धरना
     अपनी मांग को लोकतांत्रिक तरीके से आगे बढ़ाना
 


 
 
Latest News
हेरा फेरी 3 में नजर आ सकती
शाहरुख खजान ने किया वेब सीरीज का
आचार्य सत्येंद्र दास का कुशलक्षेम जानने पीजीआई
हिंदू और बौद्ध एक ही वटवृक्ष की
दोनों दल चाहते थे कि हादसा होः
CM Yogi and Bhutanese King take sacred
 
 
Most Visited
टूटते-झड़ते बालों के लिए घर पर ही
(3394 Views )
UP Board Result 2024: 10वीं और 12वीं
(1046 Views )
सरस्वती शिशु विद्या मंदिर (मॉडल हाउस) में
(998 Views )
राम नवमी में श्री रामलला का जन्मोत्सव
(879 Views )
भारत एक विचार है, संस्कृत उसकी प्रमुख
(857 Views )
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संभल में किया
(801 Views )