एआई और स्वायत्त प्रणालियों की भविष्य के युद्धों में निर्णायक भूमिका : राजनाथ सिंह
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Yugvarta
, Oct 04, 2024 08:40 PM 0 Comments
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Delhi : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उद्योग जगत से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), साइबर डिफेंस और स्वायत्त प्रणालियों जैसी अत्याधुनिक तकनीकों में अधिक निवेश करने का आग्रह किया है।
उन्होंने कहा, "भारत के रक्षा उद्योग को वैश्विक रुझानों के साथ तालमेल रखना चाहिए और उच्च तकनीक पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। एआई और स्वायत्त प्रणालियों जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने की जरूरत है, जिनकी भविष्य में लड़े जाने वाले युद्धों में निर्णायक भूमिका होगी। सरकार इस क्षेत्र में हर प्रकार की सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है।"
रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि रूस और यूक्रेन संघर्ष इस बात की याद दिलाता
भारत के रक्षा उद्योग को वैश्विक रुझानों के साथ तालमेल रखना चाहिए और उच्च तकनीक पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। एआई और स्वायत्त प्रणालियों जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने की जरूरत है, जिनकी भविष्य में लड़े जाने वाले युद्धों में निर्णायक भूमिका होगी:राजनाथ सिंह
है कि रक्षा और औद्योगिक आधार का मजबूत रहना जरूरी है, जिसे समय के साथ मजबूत तथा विस्तारित किया जा सकता है।
शुक्रवार को वह सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम) के सातवें वार्षिक सत्र को संबोधित कर रहे थे।
राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार अपने लगातार तीसरे कार्यकाल में एक मजबूत, अभिनव और आत्मनिर्भर रक्षा तंत्र विकसित करने के लिए अपने मौजूदा प्रयासों को नए सिरे से मजबूती प्रदान करेगी।
उन्होंने रक्षा क्षेत्र में 'आत्मनिर्भरता' की बात करते हुए उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक गलियारों के निर्माण का जिक्र किया। रक्षा मंत्री ने 5,500 से अधिक मदों के लिए बनाई गई स्वदेशीकरण सूची पर कहा कि इसका मकसद सशस्त्र बलों को स्वदेशी प्लेटफार्मों से लैस करना है।
उन्होंने उद्योग जगत से उन उत्पादों का आकलन और पहचान करने का भी आग्रह किया, जिन्हें दुनिया भर में रक्षा के क्षेत्र में हो रहे तेजी से बदलावों के मद्देनजर स्वदेशीकरण सूची में जोड़ा जा सकता है।
राजनाथ सिंह ने वित्त वर्ष 2023-24 में रक्षा निर्यात को 21,000 करोड़ रुपये से अधिक के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर ले जाने में निजी क्षेत्र के योगदान की सराहना की।
रक्षा मंत्री ने कहा कि यह खुशी की बात है कि वित्त वर्ष 2023-24 में वार्षिक रक्षा उत्पादन 1.27 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर को छू गया। जहां सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रमों (डीपीएसयू) की हिस्सेदारी एक लाख करोड़ रुपये थी। वहीं, निजी कंपनियों ने लगभग 27,000 करोड़ रुपये का योगदान दिया।
उन्होंने कहा कि निजी उद्योगों की हिस्सेदारी बढ़ाने की बहुत गुंजाइश है। अगला लक्ष्य कुल रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र की भागीदारी को कम से कम 50 प्रतिशत तक लाना होना चाहिए।
रक्षा मंत्री ने सत्र के दौरान एसआईडीएम चैंपियन पुरस्कार भी प्रदान किए, जो रक्षा विनिर्माण में उत्कृष्ट उपलब्धियों की परिचायक है। इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और उद्योग जगत के दिग्गज कारोबारी मौजूद थे।