» प्रमुख समाचार
मणिपुर हिंसा : एक्शन में आई केंद्र सरकार, ले लिया इतना बड़ा फैसला
Go Back | Yugvarta , Sep 30, 2024 08:25 PM
0 Comments


0 times    0 times   

News Image Delhi :  मणिपुर में चल रही हिंसा के बीच सरकार ने अफस्पा (AFSPA) का दायरा बढ़ाने का फैसला लिया है. 1 अक्टूबर 2023 से यह कानून मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में लागू होगा, लेकिन 19 पुलिस थानों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है


मणिपुर में लंबे समय से हिंसा चल रही है. इस बीच, सरकार ने बड़ा फैसला ले लिया है. हिंसा के बीच सरकार ने अफस्पा (AFSPA) का दायरा बढ़ा दिया है. सरकार ने इस मामले में जारी अधिसूचना में कहा कि मणिपुर के पहाड़ी क्षेत्रों के एक बार फिर AFSPA के तहत रखा गया है. इसमें घाटी के 19

सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) को उन क्षेत्रों में लागू किया जाता है जिन्हें "अशांत क्षेत्र" घोषित किया जाता है. इस कानून के तहत, सुरक्षा बलों को बिना वारंट के गिरफ्तारी करने और कुछ मामलों में बल प्रयोग करने का अधिकार होता है.

पुलिस थानों को शामिल नहीं किया गया है. आसान भाषा में बताए तो सरकार ने 19 पुलिस थानों को AFSPA के दायरे से बाहर रखा है.

एक अक्टूबर से प्रभावी होगा AFSPA
सरकार द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया कि मणिपुर के 19 पुलिस थानों को छोड़कर सभी इलाकों को छह माह के लिए अशांत क्षेत्र घोषित किया जाता है. मणिपुर में AFSPA कानून एक अक्टूबर 2023 से लागू होगा.


क्या होता है अफस्पा
सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) को उन क्षेत्रों में लागू किया जाता है जिन्हें "अशांत क्षेत्र" घोषित किया जाता है. इस कानून के तहत, सुरक्षा बलों को बिना वारंट के गिरफ्तारी करने और कुछ मामलों में बल प्रयोग करने का अधिकार होता है. AFSPA 1958 में पूर्वोत्तर भारत में सुरक्षा बलों की सहूलियत के लिए लागू किया गया था, और 1990 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने पर इसे वहां भी लागू किया गया. "अशांत क्षेत्र" घोषित करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास होता है, जो स्थिति के अनुसार निर्णय लेती है.


मणिपुर में हिंसा का यह है कारण
मणिपुर में हिंसा का कारण मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें जनजातीय (ST) वर्ग में शामिल किया जाए. राज्य में मैतेई समुदाय की आबादी का लगभग 60% है. मैतई अधिकतर इंफाल घाटी में रहते हैं. उनका कहना है कि म्यांमार और बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ के कारण उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. वर्तमान कानून के तहत मैतेई समुदाय को राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसने की अनुमति नहीं है, जहां अन्य जनजातीय समुदाय रहते हैं.

मैतेई समुदाय ने इस मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने दावा किया कि मणिपुर के भारत संघ में विलय से पहले उन्हें जनजाति के रूप में मान्यता प्राप्त थी. 19 अप्रैल को मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मैतेई समुदाय को जनजातीय वर्ग में शामिल करने पर विचार करने को कहा, जिसके बाद राज्य में अन्य जनजातीय समुदायों के विरोध में हिंसा भड़क उठी.
  Yugvarta
Previous News Next News
0 times    0 times   
(1) Photograph found Click here to view            | View News Gallery


Member Comments    



 
No Comments!

   
ADVERTISEMENT






Member Poll
कोई भी आंदोलन करने का सही तरीका ?
     आंदोलन जारी रखें जनता और पब्लिक को कोई परेशानी ना हो
     कानून के माध्यम से न्याय संगत
     ऐसा धरना प्रदर्शन जिससे कानून व्यवस्था में समस्या ना हो
     शांतिपूर्ण सांकेतिक धरना
     अपनी मांग को लोकतांत्रिक तरीके से आगे बढ़ाना
 


 
 
Latest News
Senior Journalist Dilip Sinha Dies in Tragic
CCTV Captures Man Slapping, Biting 12-Year-Old Boy
Raj Nidimoru’s Wife Shares Cryptic Post After
केंद्र सरकार ने उत्तराखंड से असम तक...
“Can’t Buy Daughter’s Insulin”: Uttar Pradesh Man
Haryana School Principal Murdered by Two Students
 
 
Most Visited
Rice water & Methi Dana Toner for
(1002 Views )
मुकुल देव आखिरी बार इस फिल्म में
(494 Views )
उत्तराखंड : केदारनाथ में हेलीकॉप्टर क्रैश, 7
(477 Views )
‘Justice Served’ : India Launches ‘Operation Sindoor’,
(421 Views )
प्रो. के.जी. सुरेश को मिली इंडिया हैबिटेट
(412 Views )
भारत और पाकिस्तान युद्धविराम पर सहमत :
(404 Views )