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सीएम की मौजूदगी में उपराष्ट्रपति करेंगे पूर्वी यूपी के पहले सैनिक स्कूल का लोकार्पण
Go Back | Yugvarta , Aug 31, 2024 08:47 PM
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News Image Gorakhpur :  गोरखपुर, 31 अगस्त : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में से एक और पूर्वी उत्तर प्रदेश के पहले सैनिक स्कूल का लोकार्पण उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ करेंगे। सैनिक स्कूल गोरखपुर के लोकार्पण के लिए 7 सितंबर की तारीख संभावित है। इस अवसर पर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भी उपस्थित रहेंगी। लोकार्पण को लेकर प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां शुरू हो गई हैं।

गोरखपुर का सैनिक स्कूल खाद कारखाना परिसर में आवंटित 49 एकड़ भूमि पर बना है। 176 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाले इस स्कूल का शिलान्यास मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 23 जुलाई 2021 को किया था।

-7 सितंबर को प्रस्तावित है कार्यक्रम, राज्यपाल भी रहेंगी उपस्थित
-सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में से एक है सैनिक स्कूल गोरखपुर
-खाद कारखाना परिसर में 49 एकड़ में 176 करोड़ रुपये की लागत से बना है सैनिक स्कूल

‘युवाओं को शिक्षा, देश की रक्षा’ के ध्येय से इस शैक्षिक प्रकल्प में कक्षा 6 से 12 तक बालक-बालिकाओं को आवासीय व्यवस्था के तहत शिक्षा प्रदान की जाने की व्यवस्था है। प्रवेश परीक्षा के जरिये कक्षा 6 और 9 में दाखिला लेने के बाद इस सैनिक स्कूल में पहली जुलाई से पढ़ाई शुरू हो चुकी है। प्रथम चरण में इस स्कूल में कक्षा 6 और 9 में 84-84 विद्यार्थियों को प्रवेश दिया गया है। इनमें कुल मिलाकर 40 छात्राएं और 128 छात्र हैं। यहां छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग कैंपस हैं। स्कूल का प्रशासनिक भवन प्राचीन भारतीय संस्कृति व परंपरा का दर्शन कराते है। सैनिक स्कूल के विद्यार्थियों के खेलकूद की गतिविधियों के लिए खेलों के कई कोर्ट व मैदान भी विकसित किए गए हैं।

सैन्य सेवाओं में अवसर को क्षेत्रीय संतुलन बढ़ाएगा सैनिक स्कूल गोरखपुर-
गोरखपुर का सैनिक स्कूल सीएम योगी के दिल के बहुत करीब है। इसके शिलान्यास के बाद भी वह कई बार इसके निर्माण कार्यों का भौतिक निरीक्षण करने आते रहे हैं। उन्होंने सैनिक स्कूल का उपहार देकर पूर्वी उत्तर प्रदेश के मेधावियों को सैन्य सेवाओं में जाने के लिए एक सशक्त प्लेटफार्म उपलब्ध कराया है। पूर्वी उत्तर के इस सैनिक स्कूल से सैन्य सेवाओं में अवसर के लिए क्षेत्रीय संतुलन को भी बढ़ावा मिलेगा।

सेना में होने वाले प्रशिक्षण के अनुरूप है समय सारिणी-
सैनिक स्कूल का उद्देश्य विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास कर उन्हें भारतीय सशस्त्र सेनाओं के अधिकारी वर्ग में चयन के लिए राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) के लिए तैयार करना होता है। सामान्य विद्यालयों से अलग संकल्पना वाले इस स्कूल में प्रवेश हेतु चयन प्रक्रिया में बच्चों की बौद्धिक क्षमता के साथ-साथ शारीरिक, मानसिक और चिकित्सकीय क्षमता का भी विशिष्ट रूप से आकलन किया जाता है। इसका पूरा पैटर्न सैन्योन्मुखी शिक्षा पर आधारित है। सैनिक स्कूल की समय सारिणी सेना में होने वाले प्रशिक्षण के अनुरूप होती है।

यूपी सैनिक स्कूल सोसाइटी के तहत स्थापित दूसरा स्कूल-
गोरखपुर का सैनिक स्कूल यूपी सैनिक स्कूल सोसाइटी के अंतर्गत स्थापित होने वाला दूसरा विद्यालय है। यहां 20 क्लासरूम, 4 लैब्स, छात्रावास, डायनिंग हाल, मल्टीपर्पज हाल, कांफ्रेंस हाल, 1014 सीटेड ऑडिटोरियम, योग सेंटर, इंडोर शूटिंग रेंज, इंडोर स्विमिंग पूल और सीएसडी कैंटीन की सुविधा है। इस सैनिक स्कूल में कुल प्रवेशित विद्यार्थियों को चार सदनों (हॉस्टल) में रखा गया है। इन सदनों का नामकरण शहीद भगत सिंह, शहीद पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, शहीद बंधु सिंह और रानी लक्ष्मीबाई के नाम पर किया गया है। विद्यार्थियों के लिए भोजन की व्यवस्था अन्नपूर्णा भवन में की गई है। परिसर में क्रीड़ा गतिविधियों के लिए बास्केटबॉल, वॉलीबॉल, फुटबॉल, टेनिस, बैडमिंटन कोर्ट बनाए गए हैं।

गोरखपुर के विकास मॉडल में नगीना बनेगा सैनिक स्कूल-
अस्सी और नब्बे के दशक में गोरखपुर की पहचान अपराध की नर्सरी के रूप में रही है। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा और उद्योग के क्षेत्र में हासिल उपलब्धियों से बदनाम पहचान बदल गई है। अब गोरखपुर की पहचान विकास के मॉडल रूप में होती है। इस मॉडल में सैनिक स्कूल भी एक नगीने के रूप में है। यह स्कूल राष्ट्र रक्षा की नर्सरी बनेगा। इसके जरिये छात्र फौज में अफसर बनेंगे। देश की सीमाओं की रक्षा करेंगे। सैनिक स्कूल की सौगात सिर्फ युवा छात्रों के लिए ही नहीं, गोरखपुर की अपनी निजी पहचान और शान के लिहाज से भी बेहद खास है। सीएम योगी की मंशा है कि सैनिक स्कूल गोरखपुर किशोरों और युवाओं में राष्ट्रप्रेम, समर्पण, नेतृत्व कौशल जगाने का उत्कृष्ट मंच बने। बच्चों का शारीरिक, मानसिक और चारित्रिक विकास करते हुए समेत समूचे पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए गौरव स्तम्भ के रूप में दिखे। कारण, किसी भी क्षेत्र में सैनिक स्कूल का होना बड़ी उपलब्धि होती है।
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