अब यूपी में गोकशी नहीं होती बल्कि गऊ माता अर्थव्यवस्था को कर रहीं मजबूत
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Yugvarta
, Jul 05, 2025 08:11 PM 0 Comments
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Lucknow :
लखनऊ, 5 जुलाई : उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यकाल में गोवंश संरक्षण को केवल धार्मिक और सांस्कृतिक विषय न मानकर सामाजिक और आर्थिक विकास का आधार बनाया गया है। जहां पहले प्रदेश में गोकशी की घटनाएं चिंता का विषय थीं, वहीं अब गोवंश को ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा से जोड़कर समृद्धि का माध्यम बनाया गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर हैं और उनकी गौशाला में विभिन्न नस्लों के गोवंश संरक्षित हैं। उनके नेतृत्व में 2 जनवरी 2019 को देश की पहली निराश्रित गोवंश संरक्षण नीति उत्तर प्रदेश में लागू की गई। इससे पहले वर्ष 2017 तक प्रदेश में गोवंश संरक्षण की कोई समर्पित नीति नहीं थी।
गौ-आश्रय और संरक्षित गोवंश की व्यवस्था
वर्तमान में प्रदेश में 7,717 गो-आश्रय स्थल सक्रिय हैं, जिनमें कुल 12.52 लाख गोवंश संरक्षित हैं। प्रत्येक वृहद गो-संरक्षण केंद्र के निर्माण पर 1.60 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। प्रतिदिन प्रति गोवंश 50 रुपये की दर से लगभग 7.5 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
पशु स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार
प्रदेश में 2,202 पशु चिकित्सालयों के अतिरिक्त 39 नए चिकित्सालय तथा 2,575 पशु सेवा केंद्र स्थापित किए गए हैं। साथ ही 520 मोबाइल वेटरनरी यूनिट्स भी सक्रिय हैं। 2024-25 में 3.08 लाख कृत्रिम गर्भाधान नि:शुल्क किए गए, जबकि लंपी स्किन डिजीज के लिए 1.52 करोड़ टीकाकरण और कुल 1,648 लाख टीकाकरण कार्य संपन्न हुए। 32.34 लाख पशुओं को मोबाइल यूनिट्स के माध्यम से चिकित्सा सेवा प्रदान की गई।
गोवंश से जुड़ी योजनाएं एवं आर्थिक योगदान
प्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री स्वदेशी गौ संवर्धन योजना और नंदिनी कृषक समृद्धि योजना जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें महिलाओं को विशेष रूप से जोड़ा गया है। नंदिनी योजना के लाभार्थियों में 50% महिलाएं शामिल हैं। प्रदेश में प्रतिदिन 5,500 टन गोबर का उत्पादन हो रहा है जिससे वर्मी कम्पोस्ट, गोकाष्ठ, गोदीप, धूपबत्ती, पंचगव्य, जीवामृत, घनामृत जैसे जैविक उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं।
इन उत्पादों की इकाइयों में महिला स्वयं सहायता समूहों को जोड़ा गया है, जिससे महिलाओं को आय का स्रोत और आत्मनिर्भरता मिली है। गो-आश्रय स्थलों में महिला समूहों की भागीदारी प्रदेश की नारी को सशक्त बना रही है।
पशुपालन क्षेत्र में रिकॉर्ड निवेश और उपलब्धियां
पशुपालन अवसंरचना विकास निधि और नेशनल लाइवस्टॉक मिशन के अंतर्गत 1,238.67 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। साथ ही 578 डेयरी एवं पशुपालन इकाइयों से 2,221.99 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश प्राप्त हुआ है।
प्रदेश में पशुपालन क्षेत्र का उत्तर प्रदेश की कुल जीएसडीपी ₹25.63 लाख करोड़ में ₹1.67 लाख करोड़ का योगदान है। यह 7.1% की हिस्सेदारी है, जो राष्ट्रीय जीडीपी में पशुपालन के 4.11% हिस्से की तुलना में कहीं अधिक है। यह उत्तर प्रदेश की गौ आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था की सफलता को दर्शाता है।
डिजिटल पारदर्शिता और डीबीटी के माध्यम से लाभ
6,500 गौपालकों को डीबीटी के माध्यम से अनुदान और पुरस्कार दिए गए हैं। टीकाकरण, कृत्रिम गर्भाधान और पशु बीमा जैसी सभी योजनाएं ऑनलाइन पारदर्शी मॉनिटरिंग के दायरे में लाई गई हैं।
स्वदेशी नस्लों को बढ़ावा
साहीवाल, गीर और थारपारकर जैसी स्वदेशी नस्लों के संरक्षण और संवर्धन के लिए विशेष प्रयास किए गए हैं, जिससे नस्लीय गुणवत्ता और दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हो रही है। वर्तमान में प्रदेश में 390 लाख मीट्रिक टन दुग्ध उत्पादन हो रहा है।
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार द्वारा गोवंश संरक्षण को केवल परंपरा नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास का प्रभावी मॉडल बनाकर प्रस्तुत किया गया है। यह मॉडल न केवल सांस्कृतिक अस्मिता का संरक्षण करता है, बल्कि रोजगार, जैविक खेती और महिला सशक्तिकरण के नए अवसर भी पैदा कर रहा है।