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निपुणता की ओर बढ़ा उत्तर प्रदेश, योगी सरकार में शिक्षा बनी विश्वास का आधार
Go Back | Yugvarta , Jun 24, 2025 09:18 PM
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News Image Lucknow : 
लखनऊ, 24 जून। जब प्राथमिक विद्यालयों की दीवारें उम्मीदों से सजने लगें, शिक्षक डायरी और टैबलेट के साथ कक्षा में प्रवेश करें, और स्मार्ट क्लास, गणित किट व लाइब्रेरी बुक्स बच्चों की आंखों में नई रोशनी भरने लगें, तब स्पष्ट हो जाता है कि उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था अब बदलाव के निर्णायक दौर से गुजरते हुए विश्वास का आधार बन रही है।

इसका ताज़ा प्रमाण हाल ही में आयोजित परख राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण 2024 में सामने आया, जहाँ उत्तर प्रदेश के कक्षा 3 के छात्रों ने राष्ट्रीय औसत से अधिक अंक अर्जित कर पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया। परख राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण 2024 में उत्तर प्रदेश के कक्षा 3 के छात्र-छात्राओं ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। राज्य ने भाषा में 68% और गणित में 64% औसत प्राप्त किया, जो राष्ट्रीय औसत (भाषा में 64% और गणित में 60%) से चार प्रतिशत अधिक है। यह न केवल राष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश की मजबूत उपस्थिति को दर्शाता है, बल्कि राज्य में बुनियादी शिक्षा की गुणवत्ता में हुए सुधार का भी प्रमाण है। वर्ष 2017 में आयोजित राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS) की तुलना में भी उत्तर प्रदेश ने उल्लेखनीय प्रगति की है। भाषा में 10 प्रतिशत (58% से 68%) और गणित में 5 प्रतिशत (59% से 64%) की वृद्धि दर्ज की गई है। बता दें कि परख में निजी, परिषदीय, एडेड, मदरसा सभी प्रकार के विद्यालय शामिल थे। यह सिर्फ एक सांख्यिकीय उपलब्धि नहीं है, बल्कि ‘निपुण भारत मिशन’ के तहत योगी सरकार द्वारा किए गए सुनियोजित प्रयासों का परिणाम है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार ने प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता सुधार को मिशन मोड में लेकर चलते हुए जो ठोस और बहुआयामी कदम उठाए हैं, वे अब ज़मीनी स्तर पर स्पष्ट परिणाम दे रहे हैं। निपुण भारत मिशन और समग्र शिक्षा अभियान के तहत वित्तीय वर्ष 2024-25 में किए गए कार्य राज्य को राष्ट्रीय शिक्षा मानचित्र पर एक नई पहचान दिला रहे हैं।

बुनियादी दक्षताओं की नई दिशा है निपुण भारत मिशन-

शिक्षा विभाग द्वारा वर्ष 2026-27 तक बालवाटिका से कक्षा 2 तक के बच्चों को पढ़ने-लिखने और गणना में ग्रेड स्तर की दक्षता दिलाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत प्रत्येक परिषदीय विद्यालय में सुनियोजित शिक्षण के लिए संदर्शिका, प्रिंटरिच सामग्री, गणित किट, टीएलएम, लाइब्रेरी बुक्स, शिक्षक डायरी और 'तालिका' जैसे संसाधनों को उपलब्ध कराया जा चुका है। इतना ही नहीं, राज्य के 4.53 लाख से अधिक शिक्षकों व शिक्षामित्रों को ब्लॉक स्तर पर 4 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से फाउंडेशनल लिटरेसी एवं न्यूमरेसी पर आधारित दक्षताओं से सशक्त किया गया। कक्षा शिक्षण को रुचिकर और प्रभावी बनाने के लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण के उपरांत निरंतर शैक्षिक सहयोग प्रदान किया जा रहा है।

सहयोगात्मक पर्यवेक्षण और शिक्षक संकुल की भूमिका-

हर विकासखण्ड में 5 ARP, प्रत्येक जनपद में 3 SRG और प्रत्येक डायट में चयनित मेंटर्स द्वारा सहयोगात्मक पर्यवेक्षण की व्यवस्था विकसित की गई है, जिसके अंतर्गत ARP द्वारा प्रति माह 30, SRG द्वारा 20 और डायट मेंटर द्वारा 10 विद्यालयों का अवलोकन किया जा रहा है। साथ ही शिक्षक संकुलों की मासिक बैठकें नवाचार, फीडबैक और उत्कृष्ट शिक्षण अनुभवों के साझा मंच बनकर उभरी हैं।

नवीन मूल्यांकन प्रणाली और ‘निपुण विद्यालय’-

छात्रों के अधिगम स्तर की वास्तविक स्थिति को जानने के लिए ‘तालिका’, स्पॉट असेसमेंट, निपुण एसेसमेंट टेस्ट और निपुण विद्यालय आकलन जैसी प्रणाली अपनाई गई है। परिणामस्वरूप शैक्षणिक सत्र 2024-25 में 48,061 विद्यालयों को 'निपुण विद्यालय' के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है। इसी क्रम में परख द्वारा आयोजित राष्ट्रीय अधिगम मूल्यांकन सर्वेक्षण 2024 में उत्तर प्रदेश ने एक बड़ी सफलता प्राप्त की है। कक्षा 3, 6 और 9 के बच्चों पर आधारित इस मूल्यांकन में कक्षा 3 के छात्रों ने भाषा और गणित दोनों विषयों में राष्ट्रीय औसत से अधिक अंक अर्जित किए, जो राज्य के प्राथमिक शिक्षा में गुणात्मक सुधार का प्रमाण है। यह पहली बार हुआ है जब किसी अखिल भारतीय आकलन में उत्तर प्रदेश के सरकारी विद्यालयों के छात्र राष्ट्रीय औसत से आगे रहे हैं। कक्षा 6 व 9 के प्रदर्शन ने भी सुधार की प्रवृत्ति को पुष्ट किया है।परख सर्वेक्षण के आयोजन हेतु NCERT, नई दिल्ली द्वारा उत्तर प्रदेश के लिए तत्कालीन SCERT निदेशक डॉ. पवन सचान को राज्य नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया। उनके सक्षम नेतृत्व में संपन्न इस मूल्यांकन प्रक्रिया में प्रदेश के सभी 75 जनपदों से 8,865 विद्यालय, 2,53,720 छात्र एवं 30,817 अध्यापक सहभागी बने। मूल्यांकन की पूरी प्रक्रिया डिजिटल और पारदर्शी रही।

डिजिटल शिक्षा में अग्रणी बनता उत्तर प्रदेश-

योगी सरकार की ‘डिजिटल यूपी’ परिकल्पना को साकार करते हुए राज्य के परिषदीय विद्यालयों में स्मार्ट क्लास, आईसीटी लैब और टैबलेट्स के माध्यम से शिक्षकों को आधुनिक तकनीकी संसाधनों से सुसज्जित किया गया है। वर्तमान में 31,600 विद्यालयों में स्मार्ट क्लास की स्थापना की जा चुकी है, जबकि 5,568 विद्यालयों में ICT लैब कार्यरत हैं। इसके अतिरिक्त 2.61 लाख टैबलेट्स शिक्षकों को वितरित किए जा चुके हैं, जिससे शिक्षण प्रक्रिया में तकनीक का समावेश सुनिश्चित हुआ है। डिजिटल शिक्षण को और अधिक सशक्त बनाने के उद्देश्य से राज्य शैक्षिक तकनीकी संस्थान, लखनऊ में एक अत्याधुनिक डिजिटल स्टूडियो की स्थापना भी की गई है। इन सभी संसाधनों के प्रभावी उपयोग के लिए शिक्षकों, मास्टर ट्रेनर्स और खंड शिक्षा अधिकारियों को डिजिटल शिक्षा आधारित विशेष प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया है।

राष्ट्रीय आविष्कार अभियान और STEM शिक्षा का विस्तार-

राज्य सरकार ने विज्ञान, नवाचार और प्रयोग आधारित शिक्षा को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 'राष्ट्रीय आविष्कार अभियान' के अंतर्गत कई महत्वपूर्ण गतिविधियों की शुरुआत की है। इसके तहत राज्य में 88,500 छात्रों का एक्सपोज़र विजिट कराया गया, जबकि 150 छात्र-छात्राओं को इस वर्ष आउट ऑफ स्टेट विजिट पर भेजा जायेगा। साथ ही, विकासखण्ड और जनपद स्तर पर विज्ञान क्विज एवं प्रदर्शनियों का आयोजन भी किया गया है। STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) शिक्षा को प्रयोगात्मक स्वरूप देने के लिए राज्य के 18 मंडलों में साइंस पार्क की स्थापना का अनुमोदन प्राप्त हुआ है।

पर्यावरण, खेल और जीवन कौशल की दिशा में प्रयासa

योगी सरकार ने विद्यालयों में 'Eco Clubs for Mission LiFE' के गठन को स्वीकृति प्रदान की है, ताकि छात्र पर्यावरणीय चेतना से समृद्ध हों। वहीं ₹5,000 (प्राथमिक) एवं ₹10,000 (उच्च प्राथमिक) प्रति विद्यालय के अनुसार खेल सामग्री क्रय हेतु बजट अवमुक्त किया गया है। ये पहल बच्चों के समग्र विकास की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास हैं।
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