» आश्चर्यजनक
जब गण के साथ श्मशान में होली खेलते हैं महादेव, अद्भुत होती है काशी की ‘चिता भस्म होली’
Go Back | Yugvarta , Mar 10, 2025 06:59 PM
0 Comments


0 times    0 times   

News Image VARANASI : 
वाराणसी । होली खेले मसाने में...भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी काशी की होली भी निराली होती है। दुनिया का एक ऐसा हिस्सा, जहां महादेव भूत-प्रेत और अपने गण के साथ चिता भस्म की होली खेलते हैं। ये होली कहीं और नहीं, बल्कि रंगभरी एकादशी के ठीक एक दिन बाद श्मशान में खेली जाती है। भूतनाथ की मंगल होली और बनारस के इस रंग से आइए कराते हैं आपको रूबरू...
रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन 11 मार्च को इस बार मसाने या चिता भस्म की होली मनाई जाएगी, जो महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर खेली जाएगी।

मसाने होली के आयोजक और महाश्मशान नाथ मंदिर के व्यवस्थापक गुलशन कपूर ने बताया, “सुबह से भक्त जन च‍िता भस्म से खेली जाने वाली होली की तैयारी में लग जाते हैं। जहां दुःख और अपनों से बिछड़ने का संताप देखा जाता था, वहां उस दिन शहनाई की मंगल ध्वनि बजती है। शिव के भक्त उस दिन खासा उत्साह में नजर आते हैं।"

गुलशन कपूर ने काशी के चिता भस्म होली महत्ता और मान्यता पर बात की। उन्होंने बताया, “ मान्यता है कि महादेव दोपहर में स्नान करने मणिकर्णिका तीर्थ पर आते हैं और यहां जो भी स्नान करता है, उसे पुण्य मिलता है। बाबा स्नान के बाद अपने गण के साथ मणिकर्णिका महाश्‍मशान पर आकर च‍िता भस्म से होली खेलते हैं। वर्षों की यह परंंपरा कई सालों चली आ रही है, जिसे भक्त भव्य तरीके से मनाते हैं। काशीवासियों के लिए ये दिन खास मायने रखता है।

गुलशन कपूर ने कार्यक्रम के बारे में बताया, “काशी में यह मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ माता पार्वती का गौना (विदाई) कराकर अपने धाम काशी लाते हैं, जिसे उत्सव के रूप में काशीवासी मनाते हैं। रंग भरी एकादशी के दिन ही बाबा माता को काशी का भ्रमण भी कराते हैं और इसी दिन से रंगों के त्योहार होली का प्रारम्‍भ भी माना जाता है। इस उत्सव में देवी, देवता, यक्ष, गंधर्व के साथ भक्तगण भी शामिल होते हैं।"

गुलशन कपूर ने बताया, "जब बाबा रंगभरी एकादशी के दिन देवी देवता और भक्तों के साथ होली खेलते हैं तो वहां पर भूत-प्रेत, पिशाच, किन्नर का जाना मना रहता है। ऐसे में भोलेनाथ भला अपने गण के साथ होली कैसे नहीं खेलते? ऐसे में भोलेनाथ उनके साथ च‍िता भस्म की होली खेलने श्मशान में जाते हैं। पारंपरिक उत्सव काशी के मणिकर्णिका घाट पर जलती च‍िताओं के बीच मनाया जाता हैं, जिसे देखने के लिए दुनिया भर से लोग काशी आते हैं।"

महाश्मशान नाथ सेवा समिति के अध्यक्ष चंद्रिका प्रसाद गुप्ता ने बताया कि यहां होली में आम लोगों का जाना मना है। उन्होंने स्पष्ट करते हुए बताया, "रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन बाबा मसाननाथ के दर्शन-पूजन और उन्हें गुलाल अर्पित करने की परंपरा है। मंदिर के अंदर ही बाबा के साथ होली खेली जाती थी। इस होली का स्वरूप बेहद सौम्य और सुंदर हुआ करता था। हालांकि, समय के साथ इसमें काफी परिवर्तन आ गया, जो सही नहीं है। मसान नाथ मंदिर के चौखट के बाहर होली खेलने की परंपरा नहीं है। हम इसका इस बार पालन भी करेंगे।
  Yugvarta
Previous News Next News
0 times    0 times   
(1) Photograph found Click here to view            | View News Gallery


Member Comments    



 
No Comments!

   
ADVERTISEMENT




Member Poll
कोई भी आंदोलन करने का सही तरीका ?
     आंदोलन जारी रखें जनता और पब्लिक को कोई परेशानी ना हो
     कानून के माध्यम से न्याय संगत
     ऐसा धरना प्रदर्शन जिससे कानून व्यवस्था में समस्या ना हो
     शांतिपूर्ण सांकेतिक धरना
     अपनी मांग को लोकतांत्रिक तरीके से आगे बढ़ाना
 


 
 
Latest News
India’s Decisive Retaliation : Operation Sindoor targeted
बरसात पूर्व करा लें अधिकाधिक निर्माण कार्य
सुरक्षा के माहौल में ही विकास और
धामी ने ₹ 12.51 करोड़ की लागत
उत्तराखंड : मुख्यमंत्री ने किया भारत-नेपाल सीमा
सीमाओं की सुरक्षा में तैनात हमारे जवान
 
 
Most Visited
प्रो. के.जी. सुरेश को मिली इंडिया हैबिटेट
(269 Views )
‘Justice Served’ : India Launches ‘Operation Sindoor’,
(259 Views )
Operation Sindoor : ऑपरेशन सिंदूर पर MEA
(212 Views )
पाकिस्तानी हमला नाकाम, भारत ने पहली बार
(187 Views )
हमारी सहनशीलता का कोई नाजायज फायदा नहीं
(173 Views )
दिल्ली की NCERT किताब से हटाया गया
(166 Views )