Dehradun : ज़िंदगी में करिश्मा हर रोज़ होता है,
नज़र चाहिए पारखी की,
हीरा हर कोई नहीं होता,
ज़िंदा है वही जो ज़िंदादिली से जिए,
सवालों का क्या है ? हर सवाल का जवाब नहीं होता।
हम तेरे हैं, तेरे ही रहेंगे!
तुझे यक़ीन क्यों नहीं होता ?
पूछ अपने दिल से,
हमारी वफ़ादारी में कोई फ़र्क नहीं होता।
ना जा दुनिया के कहने पर,
यहाँ हर कोई चारागर नहीं होता,
लगा दिल उस ख़ुदा से,
उसके सिवा दूसरा कोई दर नहीं होता।
क्यों ग़ाफ़िल है दुनिया के रिश्तेदारी में,
दुनियादारियों में,
यहाँ तो जिसे तू अपना समझता है,
वो जिस्म भी अपना नहीं होता।
हैं सब किरायेदार-किरदार यहाँ,
सफ़र पूरा होते ही,
अपना ख़ून अपना नहीं होता।
कर सभी फ़र्ज़ अदा,
तू ज़िंदा है इसलिए,
ना रख उम्मीद किसी से भी मदद की,
मसीहा कभी सवाली नहीं होता।
सुलझ जाते हैं सभी सवाल,
कोई बाकी नहीं रहता,
रख हौसला!
हौसले के आगे कोई दुश्मन खड़ा नहीं होता।
तू ज़िंदा है!
तुझे यह एहसास क्यों नहीं होता ?
कर मदद दुनिया की,
हर इंसान मसीहा नहीं होता।
ज़िंदा है वही,
जिसका अपने लिए अपना कुछ नहीं होता,
वह सबका है, सब उसके हैं,
यही फ़लसफ़ा तारीखी है प्रखर,
फ़क़ीरी में खुदा के अलावा बाक़ी कुछ नहीं होता।
-प्रखर प्रकाश 🌹 |