Maharana Pratap Jayanti 2025: आज के युवाओं एवं नेताओं को महाराणा प्रताप के जीवन से सीखने योग्य बातें
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Yugvarta
, May 09, 2025 10:31 PM 0 Comments
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Lucknow :
महाराणा प्रताप के शौर्य, साहस एवं आत्मसम्मान की गाथाएं देश ही नहीं विदेशों में भी खूब लोकप्रिय हैं. उदाहरणार्थ वियतनाम ने अमेरिका से लंबे समय तक चले युद्ध में जीत हासिल कर ली, तब एक पत्रकार ने वियतनामी राष्ट्राध्यक्ष से जब पूछा कि उन्हें अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश से युद्ध लड़ने और जीतने की प्रेरणा कैसे मिली, उनका जवाब था, यह प्रेरणा उन्हें भारत के प्रतापी राजा महाराणा प्रताप के संघर्ष और जीत भरे जीवन से मिली थी. उन्होंने बताया, अगर वियतनाम में राणा प्रताप जैसा एक भी योद्धा होता तो आज वियतनाम पूरे विश्व पर राज करता. महाराणा प्रताप की जयंती (9 मई) के अवसर पर आइये जानते हैं युवाओं एवं नेताओं को राणा प्रताप से सीखने योग्य महत्वपूर्ण टिप्स.
आत्मसम्मान सर्वोपरि
महाराणा प्रताप ने मुग़ल सम्राट अकबर की अधीनता स्वीकार करने से इंकार कर दिया, भले ही इसके लिए उन्हें जंगलों में रहकर घास की रोटियां खानी पड़ी हों. आज के युवाओं को यह सीखने की जरूरत है कि आत्मसम्मान और सिद्धांतों के लिए संघर्ष करना आवश्यक है, चाहे परिस्थितियां कितनी भी जटिल क्यों न हों.
संघर्ष से लड़ना
महाराणा प्रताप का पूरा जीवन युद्ध की कठिनाइयों और संघर्षों से भरा रहा, लेकिन उन्होंने ना कभी हार मानी, ना हताशा दिखाई. युवाओं को उनके जीवन से यही प्रेरणा लेनी चाहिए कि असफलता अंत नहीं है, बल्कि यह सीखने का अवसर है.
देशभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा
शासक होते हुए भी महाराणा प्रताप ने कभी भी अपने निजी सुख को देशहित से ऊपर नहीं रखा. आज के युवाओं को भी अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहते हुए राष्ट्र के विकास में योगदान देना चाहिए.
नेतृत्व और संकल्प
महाराणा प्रताप ने हल्दीघाटी के युद्ध में जिस साहस, वीरता और नेतृत्व का परिचय दिया, वह आज के नेताओं और युवाओं के लिए अनुकरणीय है. वह ऐसे नेता थे, जो अपने सैनिकों के साथ भूख-प्यास सहकर भी शत्रुओं से लड़ाई करते रहते थे. यह बताता है कि एक सच्चा नेता वही होता है जो अपने लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलता है.
स्वाभिमानी जीवनशैली
उसी दौर में जहां दूसरे राजा विलासिता में डूबे रहते थे, महाराणा प्रताप ने साधारण जीवन अपनाया. यह आज के युवाओं को दिखाता है कि मूल्य और सिद्धांत धन-संपत्ति से कहीं अधिक महत्वपूर्ण होते हैं.
प्रकृति और पशु-पक्षियों से प्रेम
महाराणा प्रताप केवल मानवता के रक्षक नहीं थे, बल्कि उन्हें अपने घोड़े चेतक और पर्यावरण से भी गहरा लगाव था. चेतक का बलिदान यह दर्शाता है कि भावनाएं सिर्फ इंसानों तक सीमित नहीं होतीं. आज के युवाओं को भी प्रकृति और जानवरों के प्रति प्रेम और संवेदनशीलता दिखाना चाहिए.