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Uttar Pradesh : 6 विभागों के जरिए प्रदेश में एआई स्किल्ड वर्कफोर्स तैयार करेगी योगी सरकार
Go Back | Yugvarta , May 02, 2025 04:57 PM
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News Image Lucknow :  लखनऊ, 2 मई। उत्तर प्रदेश को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के सबसे बड़े हब के तौर पर विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार जल्द ही प्रदेश में एआई अपस्किलिंग प्रोग्राम को धरातल पर उताने की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है। सीएम योगी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को धरातल पर उतारने के लिए प्रदेश सरकार के 6 विभागों द्वारा विभिन्न प्रकार के ट्रेनिंग प्रोग्राम को पूरा किया जाएगा। आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग द्वारा तैयार की गई कार्ययोजना के अनुसार, प्रदेश में शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, ग्राम्य विकास, राजस्व विभाग तथा सचिवालय प्रशासन द्वारा अपस्किलिंग प्रोग्राम चलाया जाएगा। इससे प्रदेश में बड़े

-एआई ट्रेनिंग का दायरा बढ़ाने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, ग्राम्य विकास, राजस्व विभाग तथा सचिवालय प्रशासन द्वारा चलाया जाएगा अपस्किलिंग प्रोग्राम

-ट्रेनिंग प्रोग्राम को लागू करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय कमेटी तथा डीएम व मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कमेटी का होगा गठन

-राज्य व जिला स्तरीय कमेटियों के माध्यम से प्रदेश में एआई ट्रेनिंग व अपस्किलिंग प्रोग्राम के विभिन्न पहलुओं का समयबद्ध तरीके से सुनिश्चित होगा निरीक्षण

-हर महीने प्रगति रिपोर्ट होगी तैयार, इसके आधार पर रैंकिंग व जवाबदेही तय करने में मिलेगी मदद

स्तर पर वर्कफोर्स तैयार करने में न केवल मदद मिलेगी बल्कि एक फ्रेमवर्क तैयार हो सकेगा।

खास बात यह भी है कि इस अपस्किलिंग प्रोग्राम के विभिन्न चरणों की समयबद्ध तरीके से निरीक्षण सुनिश्चित करने के लिए राज्य व जिला स्तरीय कमेटियों का गठन किया जाएगा, जिसकी प्रक्रिया जारी है। कमेटी द्वारा राज्य तथा जिला स्तर पर प्रत्येक महीने एआई ट्रेनिंग व अपस्किलिंग प्रोग्राम की प्रगति व अद्यतन स्थिति को ट्रैक व मॉनिटर किया जाएगा। जिलों व विभागों का परफॉर्मेंस के आधार पर वर्गीकरण भी हो सकेगा जिसके आधार पर जवाबदेही सुनिश्चित हो सकेगी तथा प्रोग्राम को पारदर्शिता के साथ लागू करने में मदद मिलेगी।

सभी 6 विभागों द्वारा अलग-अलग तरीके से ट्रेनिंग प्रक्रिया की जाएगी पूरी-
आईटी व इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग द्वारा तैयार की गई कार्ययोजना के अनुसार, प्रदेश में 6 विभागों के प्रतिभाग से एआई ट्रेनिंग प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। इसमें शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों, कॉलेजों तथा विश्वविद्यालयों में विभिन्न प्रकार के एआई आधारित पाठ्यक्रम का संचालन किया जाएगा। इसके जरिए शिक्षा विभाग, स्कूलों-कॉलेजों व विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर व स्टाफ तथा स्टूडेंट्स को एआई अपस्किल्ड बनाया जाएगा।

वहीं, स्वास्थ्य विभाग द्वारा डॉक्टरों व अन्य मेडिकल-पैरामेडिकल स्टाफ व प्रोफेशनल्स स्वास्थ्य के क्षेत्र में एआई तकनीकों के उपयोग को लेकर ट्रेंड किया जाएगा। इसी प्रकार, कृषि विभाग द्वारा कृषि सेक्टर में एआई आधारित तकनीकों के इस्तेमाल, समाधान को लेकर प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें न केवल कृषि विभाग के स्टाफ बल्कि एनजीओ, प्रगतिशील किसानों व एग्रो बेस्ड तथा ग्राम्य व एमएसएमई सेक्टर में कार्यरत महिलाओं को भी ट्रेंड किया जाएगा।

इसी प्रकार, ग्राम्य विकास विभाग द्वारा भी एआई ट्रेनिंग प्रोग्राम को कार्मिकों, ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं व एनजीओ को ट्रेनिंग उपलब्ध करायी जाएगी। राजस्व विभाग तथा सचिवालय प्रशासन द्वारा कराये जाने वाला एआई अपस्किलिंग प्रोग्राम मुख्यतः यहां कार्यरत समस्त कार्मिकों को ट्रेंड बनाने पर फोकस्ड होगा।

हर महीने प्रगति रिपोर्ट होगी तैयार, राज्य व जिला स्तर पर होगी मॉनिटरिंग-
आईटी व इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग द्वारा तैयार की गई विस्तृत कार्ययोजना के अनुसार, प्रदेश में प्रत्येक माह 1.5 लाख लोगों को एआई आधारित विभिन्न प्रकार की तकनीकों में दक्ष बनाया जाएगा। इसके जरिए प्रदेश में 4 से 6 महीने में कुल मिलाकर 10 लाख लोगों को एआई अपस्किल्ड बनाया जाएगा। यह सीएम योगी के प्रदेश को ‘वन ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी’ बनाने की दिशा में भी प्रमुख भूमिका निभाएगा।

ऐसे में, मॉनिटरिंग व समन्वय सुनिश्चित करने के लिए आईटी व इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग की सेंटर फॉर ई-गवर्नेंस (सीईसी) नोडल एजेंसी के तौर पर कार्य करेगी। सभी विभागों में संवाद व समन्वय स्थापित करने के साथ ही वह परियोजना के क्रियान्वयन के लिए राज्य स्तरीय व जिला स्तरीय रिपोर्ट मासिक तौर पर पेश करेगी। राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया जाएगा।

वहीं, जिला स्तर पर डीएम तथा मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया जाएगा जिसकी प्रक्रिया जारी है। इससे दोनों ही स्तर पर परियोजना के क्रियान्वयन की स्थिति, रैंकिंग व जवाबदेही सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। वहीं, जिलों व विभागों का वर्गीकरण उनकी परफॉर्मेंस पर हो सकेगा।
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