» राज्य » उत्तराखंड
उत्तराखंड : शहीद सैनिकों की स्मृति में शहीद द्वार और स्मारक बनाने का काम जारी, अब तक 13 के हुए आदेश
Go Back | Yugvarta , Apr 01, 2025 11:19 PM
0 Comments


0 times    0 times   

News Image Dehradun : 
देहरादून, 01 अप्रैल। राज्य सरकार सैनिकों और पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और समय-समय पर विभिन्न कल्याणकारी योजनाऐं चलाकर आश्रितों के कल्याण के लिए काम कर रही है। बीते 2022 में विजय दिवस (16 दिसम्बर) पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की थी कि प्रदेश में शहीद द्वार और स्मारकों का निर्माण संस्कृति विभाग के स्थान पर अब सैनिक कल्याण विभाग द्वारा किया जाऐगा, जिसके क्रियान्वयन के लिए सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी के निर्देशों के बाद विभाग द्वारा जिलों से प्राप्त प्रस्तावों पर स्वीकृति की कार्यवाही चल रही है।
मीडिया को जारी बयान में सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का धन्यवाद प्रकट करते हुए कहा है कि सैनिक पुत्र होने के चलते उन्होंने सैनिकों और उनके परिवारों की पीड़ा और इच्छा को समझा और शहीद द्वार व स्मारकों का निर्माण संस्कृति विभाग के बदले सैनिक कल्याण विभाग से करवाने की मंजूरी दी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का यह फैसला शहीदों के परिवारों के प्रति सरकार की संवेदनशीलता और सम्मान को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री धामी के घोषणा के बाद अब तक विभाग द्वारा 12 प्रस्तावों पर अपनी स्वीकृति प्रदान की है, जिसमें 05 पर निर्माण कार्य भी प्रारम्भ कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि सभी 1829 वीर शहीदों के द्वार अथवा स्मारक बनाने का सरकार का संकल्प है।
विदित हो कि सरकार के घोषणा के बाद शासन द्वारा कई विद्यालयों एवं महाविद्यालयों के नाम भी शहीदों के नाम पर परिवर्तित कर दिये हैं। इसके साथ-साथ राज्य के अधीन स्थापित सैनिक द्वार एवं स्मारकों की देखरेख सैनिक कल्याण विभाग और जिला प्रशासन द्वारा किया जा रहा है। यहां प्रक्रियांऐं एवं अर्हताओं की बात करें तो आजादी के बाद थल सेना, नौ सेना और वायु सेना तथा अर्द्धसैनिक बलों के शहीद सैनिकों को इसमें सम्मिलित किया गया है। साथ ही, समक्ष अधिकारी द्वारा आप्रेशनल कैज्युलटी या बैटल कैज्युल्टी से सम्बन्धित प्रमाण पत्र निर्गत होने पर शहीद द्वार या स्मारक का निर्माण किया जाता है। शहीद द्वार मुख्यतः तीन श्रेणियों यथा लघु, मध्यम और वृहद में होते हैं। लघु श्रेणी में अधिकतम 05 लाख, मध्यम हेतु 10 लाख एवं वृहद शहीद द्वार निर्माण के लिए अधिकतम 15 लाख तक की धनराशि अनुमन्य की गयी है। इसी प्रकार, आवेदन प्राप्त होने पर चयन समिति में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति प्रस्ताव को शासन भेजती है, जहां पर उच्चानुमोदन के बाद निर्माण कार्य की स्वीकृति जारी की जाती है।
राज्य मे अब तक 1829 वीर सैनिकों ने अपने प्राणों का बलिदान देकर मॉ भारती की रक्षा की है। जनपदवार अल्मोड़ा में 140, बागेश्वर में 112, चमोली में 259, चम्पावत में 60, देहरादून में 211, हरिद्वार में 15, पौड़ी में 355, नैनीताल में 110, पिथौरागढ़ में 343, रुद्रप्रयाग में 55, टिहरी में 96, उधमसिंहनगर में 60 और उत्तरकाशी में 13 शहीदों ने देश की रक्षा में अपने प्राणों की कुरबानी की है। यूं ही नहीं उत्तराखण्ड को वीरभूमि कहा जाता है, रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार सेना में लगभग 17 प्रतिशत सैनिकों की पूर्ति अकेला उत्तराखण्ड राज्य करता है। अग्निवीर भर्ती में भी उत्तराखण्ड के युवा पीछे नहीं हैं, बात करें गढ़वाल और कुमाऊं भर्ती केन्द्रो की, तो अभी तक लगभग 4500 से अधिक युवा अग्निवीर बन चुके हैं।
  Yugvarta
Previous News Next News
0 times    0 times   
(1) Photograph found Click here to view            | View News Gallery


Member Comments    



 
No Comments!

   
ADVERTISEMENT






Member Poll
कोई भी आंदोलन करने का सही तरीका ?
     आंदोलन जारी रखें जनता और पब्लिक को कोई परेशानी ना हो
     कानून के माध्यम से न्याय संगत
     ऐसा धरना प्रदर्शन जिससे कानून व्यवस्था में समस्या ना हो
     शांतिपूर्ण सांकेतिक धरना
     अपनी मांग को लोकतांत्रिक तरीके से आगे बढ़ाना
 


 
 
Latest News
जब तक द्विराष्ट्रवाद का भूत रहेगा, आतंक
उत्तराखंड : सीएम धामी ने माउंट एवरेस्ट
मियांवाला समिति अपनी आय बढ़ाने पर दे
सीएम धामी सख़्त! थराली में निर्माणाधीन पुल
उत्तराखंड : चारधाम यात्रा पर आए विदेशी
उत्तराखंड : पौधारोपण के साथ प्रदेशभर में
 
 
Most Visited
Rice water & Methi Dana Toner for
(413 Views )
मुकुल देव आखिरी बार इस फिल्म में
(374 Views )
‘Justice Served’ : India Launches ‘Operation Sindoor’,
(333 Views )
Operation Sindoor : ऑपरेशन सिंदूर पर MEA
(330 Views )
भारत और पाकिस्तान युद्धविराम पर सहमत :
(323 Views )
प्रो. के.जी. सुरेश को मिली इंडिया हैबिटेट
(306 Views )