Vaikuntha Chaturdashi: एक पूजा से मिलेगा दो देवों का वरदान
Go Back |
Yugvarta
, Nov 12, 2024 01:27 PM 0 Comments
0 times
0
times
Delhi :
Vaikuntha Chaturdashi 2024: 14 नवंबर, गुरुवार को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी है, जिसे वैकुण्ठ चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। देवशयनी एकादशी पर संसार के पालनहार भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के घर विश्राम करने चले जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से देवप्रबोधिनी एकादशी तक पाताल लोक में बलि के महल में निवास करते हैं। इन चार महीनों (चातुर्मास) में भगवान शिव की शक्तियां बढ़ जाती हैं क्योंकि श्री हरि सृष्टि का संचालन उन्हें सौंप देते हैं।
Vaikunth Chaudas: धार्मिक कार्यों का आधार भगवान विष्णु ही हैं। भगवान शिव को प्रसन्न करने से श्री हरि का आशीर्वाद स्वयं ही प्राप्त हो जाता है। एक पूजा से प्राप्त होता है दो देवों का वरदान। देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु जाग गए हैं। अब भगवान शिव सृष्टि का भार पुन: भगवान विष्णु को सौंप देंगे। धरतीवासियों के लिए इस दिन पूजन व व्रत करने का विधान है।
Vaikuntha Chaturdashi vrat vidhi व्रत करने के नियम
दैनिक कार्यों से निवृत होकर सारा दिन व्रत करें।
रात को भगवान विष्णु का कमल के फूलों से पूजन करें।
भगवान शिव की पूजा के संदर्भ में कहा गया है- विना यो हरिपूजां तु कुर्याद् रुद्रस्य चार्चनम्। वृथा तस्य भवेत्पूजा सत्यमेतद्वचो मम।।
रात को जागरण करके कार्तिक पूर्णिमा (15 नवंबर) की प्रभात को रूद्राभिषेक करके ब्राह्मणों को भोजन और क्षमता के अनुसार दक्षिणा दें, फिर परिवार सहित भोजन खाएं।