देवभूमि (UK) के स्कूलों में अब गीता और रामायण की पढ़ाई करेंगे छात्र
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Yugvarta
, Jun 01, 2025 11:00 AM 0 Comments
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Dehradun : देहरादून, 1 जून : प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदयँ राखि कोसलपुर राजा॥, उत्तराखंड के छात्र अब भगवान श्री राम और माँ सीता को हृदय में धारण करके रामायण की पढ़ाई करेंगे और साथ ही स्कूलों में कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥ अर्थात कर्म के सिद्धांत के हिसाब से कर्म करना तो मनुष्य के हाथ में है मगर उसके कर्म का फल क्या होगा ये नियति को पता है, जिसका अर्थ है की अब गीता के सूत्रों को भी छात्र जानेंगे। यानी अब उत्तराखंड में विद्यालयी और उच्च शिक्षा प्रणाली अब परंपरागत ढर्रे से अलग आधुनिक और सांस्कृतिक
उत्तराखंड के स्कूलों में गुरुजन पढ़ायेंगे शिष्यों को रामायण की चौपाइयाँ और गीता के उपदेश, छात्र समझेंगे सनातन संस्कृति का महत्व और गीता-रामायण के वैज्ञानिक रहस्य।
मूल्यों से युक्त दिशा में बढ़ रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अंतर्गत कक्षा 3 से 12 तक के लिए राज्य स्तरीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (SCF) को मंजूरी दे दी है। इसमें श्रीमद्भगवद्गीता और रामायण को शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल करने के निर्देश दिए गए हैं।
गीता-रामायण पर बनी रूपरेखा-
निदेशक (अकादमिक, शोध व प्रशिक्षण) वंदना गर्ब्याल ने बताया कि गीता और रामायण को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए पाठ्यचर्चा समिति ने बैठक कर इसकी रूपरेखा तैयार कर ली है। शिक्षा विभाग पिछले छह महीनों से राज्य स्तरीय पाठ्यचर्या के निर्माण में जुटा था, जिसे डीजी-शिक्षा की अध्यक्षता वाली समिति और अब मुख्यमंत्री स्तर पर भी स्वीकृति मिल चुकी
कक्षा 6 से शुरू होगी व्यावसायिक शिक्षा-
राज्य में छात्रों के बीच स्वरोजगार और कौशल विकास की भावना को बढ़ावा देने के लिए व्यावसायिक शिक्षा को कक्षा 6 से ही लागू किया जाएगा। पहले यह कक्षा 9 से शुरू होती थी और स्कूलों की संख्या सीमित थी, लेकिन अब इसे विस्तार देने पर बल दिया गया है।
• कक्षा 3-5: 7 विषय
• कक्षा 6-8: 9 विषय
• कक्षा 9-10: 10 विषय (गणित अनिवार्य)
• इंटरमीडिएट: 6 विषयों की पढ़ाई
कलात्मक और शारीरिक शिक्षा को मिलेगा बराबरी का दर्जा-
नई पाठ्यचर्या में शारीरिक शिक्षा और कला विषयों को भी अन्य अकादमिक विषयों की तरह महत्व दिया जाएगा। कक्षा 3 से ही इन्हें पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।
राज्य को मिली 30% की लचीलापन छूट-
NEP के अनुसार राज्यों को NCERT के निर्धारित पाठ्यक्रम में 30% हिस्सा राज्य की भौगोलिक, सांस्कृतिक और सामाजिक विशेषताओं के आधार पर निर्धारित करने की अनुमति है। इसी के तहत उत्तराखंड ने अपनी पाठ्यचर्या तैयार की है, जो राज्य की पहचान को भी शिक्षा से जोड़ती है।
2025-26 से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में भी बदलाव लागू-
प्रदेश के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शैक्षणिक सत्र 2025-26 से नया पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा। पाठ्यक्रम निर्धारण समिति ने शासन को रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें निम्नलिखित अनुशंसाएं की गई हैं:
• क्रेडिट स्ट्रक्चर
• वैल्यू एडेड कोर्स और स्किल डेवलेपमेंट कोर्स
• स्नातक में पहले दो वर्षों में माइनर प्रोजेक्ट अनिवार्य
• कला वर्ग के छात्रों के लिए डेटा साइंस अनिवार्य
यह नया पाठ्यक्रम उत्तराखंड की शिक्षा प्रणाली को आधुनिक, व्यावसायिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।