Tej Pratap Yadav News : तेज प्रताप यादव का छलका दर्द: ‘राजनीति करने वाले कुछ जयचंद जैसे लोग…’
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Yugvarta
, Jun 01, 2025 10:45 AM 0 Comments
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Patna :
पटना, 1 जून : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने हालिया विवादों के बीच सोशल मीडिया पर एक भावुक संदेश जारी किया है। रविवार सुबह उन्होंने अपने X हैंडल से एक पोस्ट साझा करते हुए अपने माता-पिता के प्रति गहरा प्रेम और आस्था व्यक्त की।
तेज प्रताप यादव ने लिखा:
“मेरे प्यारे मम्मी पापा….
मेरी सारी दुनिया बस आपदोनों में ही समाई है। भगवान से बढ़कर है आप और आपका दिया कोई भी आदेश। आप है तो सबकुछ है मेरे पास। मुझे सिर्फ आपका विश्वास और प्यार चाहिए ना कि कुछ और। पापा आप नही होते तो ना ये पार्टी होती और ना मेरे साथ राजनीति करने वाले कुछ जयचंद जैसे लालची लोग। बस मम्मी पापा आप दोनों स्वस्थ और खुश रहे हमेशा।”
तेज प्रताप का यह बयान ऐसे समय आया है जब वे हाल ही में सोशल मीडिया पर अनुष्का यादव के साथ वायरल हुई तस्वीरों को लेकर चर्चा में रहे हैं। इन चर्चाओं के बीच पार्टी प्रमुख लालू यादव ने उन्हें संगठन और परिवार से अलग कर दिया था। अब, विधानसभा चुनावों से छह महीने पहले तेज प्रताप अपने सियासी सफर को दोबारा पटरी पर लाने की कोशिश में लगे हैं।
उनके बयान से यह सवाल उठने लगा है कि तेज प्रताप आखिर किन पर निशाना साध रहे हैं? उन्होंने साफ किया कि अगर उनके पिता न होते, तो न पार्टी होती और न ही कुछ “जयचंद जैसे लालची लोग” उनके साथ राजनीति कर पाते।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि उनका इशारा छोटे भाई तेजस्वी यादव के राजनीतिक सलाहकार संजय यादव की ओर है। संजय यादव, जो मूल रूप से हरियाणा से हैं, आरजेडी के राज्यसभा सांसद हैं और तेजस्वी के बेहद करीबी माने जाते हैं। तेज प्रताप पहले भी उन पर आरोप लगाते रहे हैं कि वे दोनों भाइयों के बीच दरार डालने की कोशिश कर रहे हैं।
तेज प्रताप ने यह भी दावा किया था कि संजय यादव ने उनके निजी सुरक्षाकर्मी को धमकाया और सोशल मीडिया पर उन्हें बदनाम करने की कोशिश की। उन्होंने यह मांग भी रखी थी कि संजय को तेजस्वी के सलाहकार पद से हटाया जाए।
चुनाव से ठीक पहले तेज प्रताप को पार्टी और परिवार से बाहर किया जाना राजनीतिक रूप से कितना असर डालेगा, यह देखना बाकी है। हालांकि, आरजेडी नेतृत्व ने इस विवाद को बढ़ने से रोकने के लिए खुद को अलग कर लिया है, लेकिन बिहार की राजनीति में यह मुद्दा थमता नजर नहीं आ रहा।