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शनि अपने स्वराशि कुम्भ मे होने जा रहे हैं वक्री,समस्याएं और सफलता मिलेंगी सब साथ - साथ
Go Back | Yugvarta , Jun 25, 2024 06:38 PM
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News Image Lucknow :  ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं कुम्भ शनि की मूलत्रिकोण राशि है| वर्तमान समय कर्क और वृश्चिक राशि की शनि अढ़ैया तथा मकर, कुम्भ एवं मीन राशि की शनि साढ़ेसाती चल रही है | गोचर में शनि का कुंभ राशि में आगामी 139 दिनों तक वक्री रहना सभी राशियों के लिए मत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना होगी | आइये जानते है सभी राशियों पर वक्री शनि का क्या प्रभाव पड़ेगा?

मेष राशि- आर्थिक मामलों एवं कार्य क्षेत्र में संघर्षपूर्ण सफलता, अच्छे संबंध में मतभेद, खर्च की अधिकता, प्रगति की रफ्तार थोड़ी थमेगी, धैर्यपूर्वक प्रयास से प्रतिष्ठा तथा

शनि अपनी स्वराशि कुंभ में 29 / 30 जून, 2024 की मध्य रात्रि 12:35 पर वक्री होगा| शनि 15 नवंबर 2024 संध्या 7:51 बजे अर्थात 139 दिनों तक वक्री अवस्था में रहेगा|

मान सम्मान में वृद्धि होगी| वाणी एवं गुस्सा पर नियंत्रण लाभप्रद रहेगी|

वृष राशि- महत्वपूर्ण कार्यों में थोड़े प्रयास से बड़ी सफलता, चल - अचल संपत्ति की खरीद-बिक्री, कुछ नए कार्य में पूंजी निवेश, कार्य क्षेत्र में तरक्की, मान- सम्मान, विवाद में मध्य मार्ग अपनाना हितकर|
मिथुन राशि- अवांछित परिवर्तन, धार्मिक पर्यटन स्थल की यात्रा, कुछ विवादित मामलों तथा ऋण लेनदेन संबंधी निपटारा होगा, संबंध में अस्थिरता तथा स्वास्थ्य पर ध्यान देना हितकर|
कर्क राशि- स्वास्थ्य, संबंध, कार्यक्षेत्र में बाधा, गलत निर्णय से क्षति, थोड़ा अतिरिक्त प्रयास अपेक्षित, कार्य स्थल में परिवर्तन, शनिवार के दिन अपंग, नेत्रहीन, जरूरतमंद को कुछ खाने की सामग्री दान करें|

सिंह राशि- आपके कार्यक्षेत्र व्यापार-व्यवसाय में संघर्ष, चल अचल संपत्ति की खरीद बिक्री, पारिवारिक मामलों में थोड़ी अशांति, नए संपर्क, विवाद तथा रिस्क कार्य से थोड़ा परहेज करना होगा|

कन्या राशि- साझेदारी एवं पारिवारिक जीवन में संघर्ष, अचानक ऋण का लेनदेन, कुछ विवादित मामलों का निपटारा, संतान पक्ष अच्छी तरक्की करेंगे, हड्डी, मूत्र मार्ग तथा आंख से संबंधित समस्या, हनुमान चालीसा का पाठ जारी रखें|

तुला राशि- शुभ-अशुभ दोनों परिणाम, छोटी-लंबी यात्रा, स्वयं परिवार के सदस्य की निवास, कार्य स्थल या पढ़ाई स्थल में परिवर्तन, पूर्वानुमान संबंधी मामलों में आधी-अधूरी सफलता, कुछ नए संबंध-संपर्क बनेंगे, थोड़ा संयम से कार्य करना हितकर रहेगी|

वृश्चिक राशि- स्वयं तथा घर के सदस्यों का स्वास्थ्य सुधार, घरेलू सुख सामग्री की खरीदारी, कुछ विवादित मामलों में सफलता, सभी कार्य में अतिरिक्त प्रयास एवं अग्रिम तैयारी की जरूरत, शनिवार का दान एवं हनुमान चालीसा का पाठ लाभप्रद रहेगी|

धनु राशि- सभी रुके कार्य में सफलता, कुछ चल - अचल संपत्ति की खरीदारी, आपका पराक्रम बढ़ेगा, कुछ पुराने किए गए कार्यों के लिए सम्मान प्राप्ति का दौर, विवादित मामलों में सफलता मिलेगी, आमदनी के एक से अधिक नए स्रोत की प्राप्ति|

मकर राशि- संघर्षपूर्ण सफलता, स्वास्थ्य, मरम्मत तथा कुछ नई खरीदारी पर खर्च की अधिकता, कार्यस्थल एवं कार्य की प्रकृति में परिवर्तन संभव, सभी कार्यों में अतिरिक्त प्रयास एवं श्रम की आवश्यकता पड़ेगी, प्रत्येक शनिवार हनुमान चालीसा का पाठ लाभप्रद रहेगी|

कुंभ राशि- आजीविका, व्यापार-व्यवसाय में मिश्रित सफलता, घर के सदस्य की निवास या कार्य स्थल में परिवर्तन, कुछ संबंधों में दूरी बढ़ेगी, कुछ नए संबंध- संपर्क बनेंगे, रुके कार्यों में अतिरिक्त प्रयास से अच्छी सफलता मिलेगी, शनि मंत्र ॐ शं शनैश्चराय नमः का यथासंभव जाप जारी रखें|

मीन राशि- स्वयं तथा परिवार के सदस्यों की स्वास्थ्य समस्या में सुधार, सुख सामग्री की मरम्मत तथा कुछ खरीदारी पर खर्च, सभी कार्यों में थोड़ा संयम रखना होगा|

शनि के दुष्प्रभाव से बचाव हेतु उपाय
1. शनि मंत्र ॐ शं शनिश्चराय नमः का जाप प्रत्येक दिन यथासंभव बार करें
2. बजरंगबली की पूजा आराधना करें
3. कभी भी जाने- अनजाने बुजुर्गों जरूरतमंदों जीव जंतुओं को परेशान नहीं करें
4. अपने सभी कार्य सच्ची निष्ठा एवं ईमानदारी के साथ करें
5. एकादशी, अमावस्या तथा पूर्णिमा तिथि के दिन मांस मदिरा का सेवन नहीं करें
6. अपने आसपास साफ सफाई रखें, घर का मुख्य द्वार तथा दक्षिण पश्चिम का भाग सदैव साफ सुथरा रखें
7. शनिवार के दिन सूर्योदय के ठीक पहले उठे हैं और भगवान सूर्य तथा पीपल के पेड़ में जल अर्पण करें
8. घर में काम करने वालों, बुजुर्गों, अपंग, निर्धन, नेत्रहीन लोगों की सदैव मदद करें
9.अपने पूर्वजों, अग्रज, वरिष्ठ अफसरों, बॉस का आशीर्वाद एवं शुभकामनाएं प्राप्त करने का प्रयास जारी रखें

नोट : यहाँ शनि की मकर राशि में गोचर के दौरान वक्री होने के सामान्य फल वर्णित है| इसमें न्यूनता और अधिकता आपके व्यक्तिगत जन्म कुंडली में शनि की स्थिति एवं वर्त्तमान दशा अन्तर्दशा से निर्धारित होती है|

समीर उपाध्याय,
  Yugvarta
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