Himachal की Kamrunag Lake में छिपा है अरबों का खजाना,निकालने की अभी तक किसी ने नहीं किया साहस
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Yugvarta
, Jun 26, 2021 07:42 PM 0 Comments
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Lucknow : हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) अपने पौराणिक महत्व के साथ-साथ रहस्यों का गढ़ भी माना जाता है. दुनियाभर से हजारों लोग हर साल बर्फ की चादर से लिपटीं खूबसूरत वादियों को देखने के लिए यहां आते हैं, जो उन्हें एक अलग ही दुनिया में होने का एहसास कराती हैं. लेकिन आज हम आपको यहां स्थित एक ऐसी झील (Lake) के बारे में बताएंगे, जिसमें अरबों-खरबों का खजाना छिपा हुआ है. लेकिन आज तक किसी ने झील से उस खजाने को निकालने का प्रयास तक नहीं किया. तो चलिए आपको इस रहस्यमयी झील के बारे में विस्तार से सारी जानकारी देते हैं.
जून
यह झील हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले से 51 किलोमीटर की दूरी पर करसोग घाटी में मौजूद है. इसको कमरुनाग झील (Kamrunag Lake) के नाम से जाना जाता है. इस झील तक पहुंचने के लिए पहाड़ी रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है. यहां पर कमरुनाग बाबा की पत्थर से बनी एक प्राचीन मूर्ति है
महीने का है विशेष महत्व
यह झील हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले से 51 किलोमीटर की दूरी पर करसोग घाटी में मौजूद है. इसको कमरुनाग झील (Kamrunag Lake) के नाम से जाना जाता है. इस झील तक पहुंचने के लिए पहाड़ी रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है. यहां पर कमरुनाग बाबा की पत्थर से बनी एक प्राचीन मूर्ति है. जिसकी पूजा की जाती है. स्थानीय लोगों के मुताबिक, बाबा कमरुनाग यहां के लोगों को सालभर में एक बार दर्शन जरूर देते हैं. बाबा हर साल जून महीने में प्रकट होते हैं और अपने भक्तों के कष्टों का निवारण करते हैं. यहां पर जून महीने में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है. इस खास मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाबा के दर्शन को पहुंचते हैं, और मनचाहा वर प्राप्ति के लिए झील में सोने और चांदी के गहनें दान स्वरूप डाल देते हैं.
झील में गहने डालने से पूरी होती है मनोकामना
यहां के लोगों की ऐसी धार्मिक मान्यता भी है कि, जो भी इस झील में सोने और चांदी के गहने दान स्वरूप डालता है, बाबा उनकी सारी मनोकामना पूर्ण करते हैं. यहां पर सदियों से यह परंपरा निभाई जा रही है. इसकी वजह से झील में करोड़ों-अरबों का खजाना इक्कट्ठा हो चुका है. हालांकि कोई भी इस झील से गहनें निकालने का प्रयास नहीं करता है, क्योंकि माना जाता है कि अगर कोई ऐसा पाप करता है तो उसका सर्वनाश हो जाता है. यही कारण है कि झील में अरबों की दौलत होने के बाद भी सुरक्षा के कोई प्रतिबंध नहीं किए गए हैं. इतना ही नहीं, झील में अपने आराध्य के नाम से गहने डालने या भेंट चढ़ाने का भी एक शुभ समय तय किया गया है. कहा जाता है कि जब देवता को कलेबा या भोग लगेगा, तब ही झील में भेंट डाली जाती है.