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Laal Singh Chaddha Review: अतीत की यादें ताजा करती है आमिर खान की 'लाल सिंह चड्ढा', यहां पढ़ें पूरा रिव्यू
Go Back | Yugvarta , Aug 11, 2022 01:38 PM
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News Image Mumbai :  फिल्‍म रिव्‍यू : लाल सिंह चड्ढा

प्रमुख कलाकार : आमिर खान, करीना कपूर, नागा चैतन्‍य, मोना सिंह, मानव विज

निर्देशक : अद्वैत चंदन

अवधि : 164 मिनट

स्‍टार : तीन ***

स्मिता श्रीवास्‍तव, मुंबई। फिल्‍म ठग्‍स ऑफ हिंदोस्‍तान की रिलीज के करीब चार साल बाद आमिर खान की फिल्‍म लाल सिंह चड्ढा सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। यह वर्ष 1994 में आई टॉम हैंक्‍स अभिनीत हॉलीवुड फिल्‍म फॉरेस्‍ट गम्‍प की आधिकारिक रीमेक है। फिल्‍म का अडाप्‍टेशन अतुल कुलकर्णी ने किया है, जबकि निर्देशन अद्वैत चंदन ने किया है। रीमेक फिल्‍म की मौलिकता इतनी रहती है कि वह मूल फिल्‍म के करीब रहे और उसकी

Laal Singh Chaddha Review आमिर खान की लाल सिंह चड्ढा अतीत की यादों को ताजा करती है। हॉलीवुड फिल्म फॉरेस्ट गंप की इस हिन्दी रीमेक कहानी को भारतीय परिवेश के मुताबिक ढाला गया हैजो आपका दिल छू लेगी।

लोकप्रियता को भुना सकें। यहां पर कहानी को भारतीय परिवेश के मुताबिक ढाला गया है।

कहानी का आरंभ पठानकोट रेलवे स्‍टेशन पर सेकेंड क्‍लास डिब्‍बे में लाल सिंह चड्ढा (आमिर खान) के चढ़ने से होता है। वह सामने बर्थ पर बैठी महिला के साफ जूतों को देखकर कहता है कि जूते बंदे के आइडेंटिटी कार्ड की तरह होते हैं। बंदे के चेहरे से कम जूतों से ज्‍यादा पता चलता है कि वह कैसा बंदा है। जबकि उसके खुद के जूतों की हालत बदतर होती है। वहां से कहानी लाल सिंह के जीवन की परतें खोलती है। शुरुआत बचपन से होती है। आम बच्‍चों की तुलना में उसका आइक्‍यू कम होता है। वह समुचित रूप से चल नहीं पाता। मां (मोना सिंह) उसे समझाती है कि वह किसी से कम नहीं है। उसकी जिंदगी में चमत्‍कार होता है, वह हवा से भी तेज से दौड़ने लगता है। यह उसकी खूबी बन जाती है। उसकी बचपन में सिर्फ एक दोस्‍त रूपा डिसूजा बनती है।

लाल अपनी दोस्‍ती को आलू और गोभी की तरह बताता है। बड़े होने पर रूपा (करीना कपूर) उसके साथ कॉलेज में भी पढ़ाई करती है। उसका सपना अभिनेत्री बनकर पैसे कमाना है। लाल बचपन से ही रूपा से प्रेम करता है पर रूपा नहीं। लाल सिंह अपने नाना, परनाना की तरह सेना में भर्ती हो जाता है। वहां उसकी दोस्‍ती बाला (नागा चैतन्‍य) से होती है। कारगिल युद्ध के दौरान वह अनजाने में गंभीर रुप से घायल दुश्‍मन मुहम्‍मद (मानव विज) की जान बचाता है। बाद में उसकी मासूमियत मुहम्‍मद का हृदय परिवर्तन कर देती है। बीच-बीच में वह रुपा से मिलता है। रूपा की जिंदगी में भी सब कुछ सामान्‍य नहीं है। आखिर में क्‍या लाल की रूपा से शादी करने की हसरत पूरी होगी कहानी इस संदर्भ में है।

फिल्‍म के साथ हुए विवादों को देखते हुए शुरुआत में काफी लंबा चौड़ा डिस्क्लेमर भी दिया गया है। यह फिल्‍म लाल के सफर के जरिए देश से इमजेंसी हटने, अमृतसर में आपरेशन ब्‍लू स्‍टार, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्‍या, सुष्मिता सेन के मिस यूनिवर्स बनने, मंडल कमीशन, लाल कृष्‍ण आडवाणी की रथ यात्रा, कारगिल युद्ध, जन लोकपाल विधेयक को लेकर अन्‍ना हजारे का अनशन के साथ स्वच्छता मिशन की झलक देती है। फिल्‍म में कई वास्तविक घटनाओं का फुटेज इस्‍तेमाल किया गया है।

फिल्‍म की कहानी काल्‍पनिक है, लेकिन उसमें वर्णित असल घटनाओं का चित्रण पुरानी यादें ताजा करता है। यह लाल की मासूमियत की आड़ में कहीं-कहीं झकझोरती भी है। इंदिरा गांधी की मौत के बाद भड़के दंगों को लेकर सिख समुदाय की आपबीती देखना दर्दनाक है। कहानी के जरिए फिल्‍म देश की अलग-अलग खूबसूरत जगहों को दर्शाती है। फिल्‍म में शाह रुख खान का कैमियो है, वह याद रह जाता है। फिल्‍म के जरिए पड़ोसी मुल्‍क का नाम लिए बिना वहां के लोगों को बरगलाने का प्रसंग समझदार के लिए इशारे के तौर पर है। फिल्‍म में नागा चैतन्‍य का प्रसंग लंबा खींचा गया है। खास तौर पर चड्डी बनियान के बिजनेस की बात एक वक्‍त के बाद उबाने लगती है।

फिल्‍म की अवधि 164 मिनट काफी ज्‍यादा है। उसे चुस्‍त एडीटिंग से कम करने की पूरी संभावना थी। लाल सिंह के किरदार में आमिर को युवा से लेकर प्रौढ़ किरदार निभाने का पूरा अवसर मिला है। उन्‍होंने हर भूमिका में अपनी छाप छोड़ी है। भागते हुए उनकी स्‍फूर्ति देखते हुए बनती है। उन्‍होंने अपने उच्‍चारण पर भी काफी काम किया है। हालांकि, कहीं-कहीं यह उनके द्वारा फिल्‍म पीके में निभाए किरदार की याद को भी ताजा करता है। रूपा की भूमिका में करीना का अभिनय सराहनीय है। हालांकि, मूल फिल्‍म के मुकाबले उनके किरदार में काफी बदलाव है। मां के द्वंद्व को मोना सिंह ने समझा और जाहिर किया है। बाल कलाकारों का काम उल्‍लेखनीय है। मानव विज हमेशा की तरह अपने किरदार के मिजाज में रहते हैं। वे मिले हुए दृश्‍यों में अपनी सहजता से मन मोहते हैं। फिल्‍म का पार्श्‍व संगीत फिल्‍म की थीम को असरदार बनाता है। बहरहाल, रीमेक बनाने के मामले में आमिर कमतर साबित नहीं होते।
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