Monkeypox: मंकीपॉक्स से जुड़े इन 5 मिथकों पर कहीं आप भी तो नहीं कर रहे यकीन, जानें इनका सच!
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Yugvarta
, Aug 01, 2022 03:47 PM 0 Comments
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Desk : Monkeypox Myths & Facts: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने जब से मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है, तब से इस संक्रमण के बारे में सही और गलत दोनों तरह की इंन्फॉमेशन देखने को मिल रही है। ऐसे में ज़रूरी है कि आप सूचना की जांच करें और सिर्फ फैक्ट्स पर यकीन करें।
सोशल मीडिया पर इतनी इन्फॉर्मेशन उपलब्ध होती है कि इनमें से सही और गलत का पहचानना मुश्किल हो जाता है। इसलिए हम आपको बता रहे हैं मंकीपॉक्स से जुड़े 5 मिथकों और उनके सच के बारे में।
अफ्रीकी देशों से फैला है मंकीपॉक्स संक्रमण
प्रकोप के लिए किसी विशेष
Monkeypox मंकीपॉक्स को कुछ दिन पहले ही ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी करार दिया गया। भारत में भी इसके 4 मामले सामने आए हैं। इसी के साथ सोशल मीडिया पर कई तरह के मिथक सुनने में आ रहे हैं। ऐसे में इनका सच जानना बेहद ज़रूरी है।
देश या जाति को कलंकित करना नैतिक रूप से गलत है। फैक्ट की बात करें तो मंकीपॉक्स को कई पश्चिम अफ्रीकी देशों में महामारी घोषित किया गया है, जहां यह आमतौर पर पाया जाता है। हालांकि, इस साल यह उन देशों से नहीं फैला है। साल 2022 में मंकीपॉक्स के जो मामले सामने आए हैं, उनका पश्चिम अफ्रीकी देशों से कोई लिंक नहीं मिला है। यही वजह है कि इस बार यह संक्रमण ज़्यादा गंभीर हो गया है।
समलैंगिक पुरुष फैला रहे हैं बीमारी
यह इस संक्रमण से जुड़ा एक दूसरा मिथक है। हम सभी ने कोरोना वायरस महामारी का मुश्किल समय एक साथ झेला है, ऐसे में इस तरह की सोच रखना अपमान के बराबर है। मंकीपॉक्स के प्रकोप के बाद से समलैंगिक पुरुषों को बीमारी फैलाने का ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है। सच यह है कि यौन संपर्क के माध्यम से पुरुषों से पुरुषों में संक्रमण के संचरण की खबरें ज़रूर हैं, लेकिन संक्रमण सिर्फ इसी तरह नहीं फैल रहा है। यहां तक कि अमेरिका के CDC ने भी मंकीपॉक्स को यौन संचारित रोग नहीं घोषित किया है। मंकीपॉक्स तब हो सकता है जब एक स्वस्थ व्यक्ति संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आता है, जिसमें यौन संबंध से लेकर गले लगना भी शामिल है।
मंकीपॉक्स संक्रमण से जान जा सकती है
यह मिथक कोरोना वायरस के साथ हमने जो अनुभव किया है, उससे आया है ताकि लोगों के बीच इसे लेकर डर बैठाया जा सके। ठीक ऐसा ही महामारी के शुरुआत में भी हुआ था। मंकीपॉक्स के घातक होने की संभावना बेहद कम है। यूएस सीडीसी के अनुसार, मंकीपॉक्स से संक्रमित होने वाले 99% से अधिक लोगों के जीवित रहने की संभावना है। हालांकि, इस वायरल संक्रमण के लक्षण दर्दनाक होते हैं।
मंकीपॉक्स के लिए कोई वैक्सीन उलपब्ध नहीं है
मंकीपॉक्स के लिए कोई विशेष टीका नहीं है, हालांकि, यूएस सीडीसी का कहना है कि मंकीपॉक्स और चेचक के वायरस आनुवंशिक रूप से समान हैं, चेचक के वायरस से बचाव के लिए विकसित टीकों का उपयोग मंकीपॉक्स के संक्रमण को रोकने के लिए भी किया जा सकता है।
भारत में इस वक्त केंद्रीय सरकार मंकीपॉक्स से बचाव के लिए स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन लगाने की प्लानिंग नहीं कर रही है। उनका कहना है कि इस वक्त देशभर में सिर्फ 4 मामले हैं, इसलिए इस वक्त वैक्सीन का सवाल नहीं उठता। हालांकि, वे इसे पूरे तरह से नकार नहीं रहे हैं। अगर आने वाले वक्त में इसकी ज़रूरत पड़ती है, तो लोगों को वैक्सीन लगाई जाएगी।
स्मॉलपॉक्स और चिकनपॉक्स की तरह का ही संक्रमण है मंकीपॉक्स
यह देखने में भले ही स्मॉलपॉक्स और चिकनपॉक्स की तरह का लगे, लेकिन मंकीपॉक्स इन दोनों से काफी अलग है। मंकीपॉक्स के लक्षण इन दोनों संक्रमण की तुलना काफी दर्दनाक होते हैं, लेकिन इसके अलावा मंकीपॉक्स में लिम्फ नोड्स में भी सूजन आ जाती है।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।