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UP Election 2022: जानें, पूर्वांचल की यह 12 सीटें क्‍यों हैं खास- इन सीटों पर है सभी की नजर
Go Back | Yugvarta , Feb 13, 2022 12:19 PM
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News Image Gorakhpur :  विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के नामांकन के बाद गोरखपुर-बस्ती मंडल की 41 सीटों पर सियासी घमासान को लेकर तस्वीर साफ हो गई है। वैसे तो हर सीट पर प्रत्याशियों में कड़ी प्रतिस्पर्धा है लेकिन कुछ वीआइपी सीटों पर मतदाताओं से लेकर नेताओं तक की नजर गड़ी हुई है। यहां वीआइपी सीट से आशय मंत्रियों से लेकर पूर्व मंत्रियों वाली सीटों पर है। दोनों मंडलों में ऐसी 11 सीटे हैं, जिन या तो मंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर या पूर्व मंत्री की। इनमें आठ सीटें गोरखपुर मंडल के चार जिलों की हैं तो तीन बस्ती मंडल के तीन जिलों की।

चर्चा

UP Vidhan Sabha Chunav 2022 गोरखपुर सदर विधान सभा सीट पर सीएम योगी आदित्यनाथ के अलावा गोरखपुर और बस्ती मंडल की 12 विधान सभा सीटों पर प्रदेश सरकार के मंत्री चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीटों पर सभी की नजर है।

के नजरिए से गोरखपुर जिले की चार सीटों महत्वपूर्ण हैं। इनमें गोरखपुर शहर, खजनी, कैंपियरंगज और चिल्लूपार सीट शामिल है। देवरिया की दो सीटों रुद्रपुर और पथरदेवा में मंत्रियों और पूर्व मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। कुशीनगर की फाजिल नगर सीट भाजपा छोड़कर सपा में आए पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद के कारण महत्वपूर्ण हो गई है तो महराजगंज में फरेंदा की सीट सपा के टिकट पर पूर्व मंत्री शंखलाल माझी के मैदान में आने से नामांकन के दिन महत्वपूर्ण हो गई। बस्ती की एक और सिद्धार्थ नगर की दो सीटों पर मंत्री और पूर्व मंत्री मैदान में हैं। दोनों मंडलों में संतकबीर नगर ही ऐसा जिला है, जिसकी सभी तीनों सीटों पर कोई मंत्री और पूर्व मंत्री नहीं खड़ा है।

मुख्यमंत्री के चलते महत्वपूर्ण हो गई गोरखपुर शहर सीट

गोरखपुर शहर सीट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रत्याशी बनने के बाद प्रदेश ही नहीं देश भर में चर्चा का केंद्र है। पांच बार गोरखपुर से सांसद रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। वैसे तो इस सीट पर मुख्यमंत्री की जीत सुनिश्चित मानी जा रही है लेकिन नेताओं और मतदाताओं की नजर जीत के अंतराल पर है। इस सीट पर उनका मुकाबला सपा की सुभावती शुक्ला, बसपा के ख्वाजा शमशुद्दीन और कांग्रेस की चेतना पांडेय से है

जिला बदलकर खजनी से चुनाव मैदान में पूर्व केंद्रीय मंत्री

संतकबीर नगर की घनघटा सीट के विधायक पूर्व केंद्रीय श्रीराम चौहान को इस बार भाजपा ने गोरखपुर खजनी सीट के विधायक संत प्रसाद का टिकट काटकर मैदान में उतारा है। श्रीराम चौहान बस्ती के सांसद भी रह चुके हैं। वाजपेयी सरकार में यह संसदीय कार्य राज्यमंत्री की जिम्मेदारी दी गई थी। इनके आ जाने से खजनी की सुरक्षित सीट की सरगर्मी बढ़ गई है।

चिल्लूपार में विनय तिवारी व पूर्व मंत्री के बीच टक्कर

पूर्व मंत्री और चिल्लूपार से लंबे समय तक विधायक रहे पं. हरिशंकर तिवारी के पुत्र वर्तमान में बसपा के विधायक विनय शंकर तिवारी इस बार सपा के टिकट पर इसी क्षेत्र से चुनाव मैदान में हैं। पिछले चुनाव में उन्हें कांटे की टक्कर देने वाले पूर्व मंत्री राजेश त्रिपाठी पर एक बार फिर भाजपा ने भरोसा जताया है। परंपरागत प्रतिद्वंद्वियों के एक बार आमने-सामने होने से यह सीट सर्वाधिक चर्चा वाली हो गई है।

फतेह बहादुर के चलते चर्चा में रहती है कैंपियरंगज सीट

गोरखपुर की कैंपियरगंज विधानसभा सीट पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह और पूर्व मंत्री फतेह बहादुर के चलते हमेशा चर्चा में रहती हैं। फतेह बहादुर भाजपा के टिकट पर दूसरी बार इस कैंपियरगंज से चुनाव मैदान में हैं। 2007 में बनी बसपा सरकार में वह वन व पर्यावरण मंत्री रह चुके हैं। उनके खिलाफ सपा की काजल निषाद, बसपा के चंद्रप्रकाश निषाद और कांग्रेस के सुरेंद्र प्रसाद निषाद चुनाव लड़ रहे हैं।

पथरदेवा में सूर्य और ब्रह्मा फिर आमने-सामने

सपा सरकार में मंत्री रहे ब्रह्माशंकर त्रिपाठी और योगी सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही देवरिया की पथरदेवा सीट पर आमने-सामने हैं। 2012 से पहले यह दोनों नेता कुशीनगर की कसया सीट के परंपरागंत प्रतिद्वंद्वी हुआ करते थे। 2017 के चुनाव में हारने के बाद ब्रह्मशंकर को इस बार सपा ने पथरदेवा से उतारा है। ऐसे में इस बार किस्मत किसका साथ देगी, इसे लेकर समूचे पूर्वांचल में चर्चा है।

रुद्रपुर में मंत्री और पूर्व मंत्री के बीच मुकाबला

देवरिया की रुद्रपुर सीट पर प्रदेश सरकार के मंत्री जयप्रकाश निषाद और पूर्व मंत्री रामभुआल निषाद के बीच लड़ाई है। रामभुआल को नामांकन से ठीक पहले सपा नेतृत्व घोषित प्रत्याशी प्रदीप यादव का टिकट काटकर चुनाव मैदान में उतारा है। रामभुआल बसपा सरकार में मंत्री रहे चुके हैं। दो मजबूत निषाद प्रत्याशियों के आमने-सामने होने से इस सीट की लड़ाई दिलचस्प हो गई है। ऊंट किस करवट बैठेगा, यह देखना है।

स्वामी प्रसाद के चलते चर्चा में है फाजिल नगर

योगी सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने पहले भाजपा छोड़कर सपा का दामन थामा और अब वह सीट बदलकर चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं। स्वामी पिछले चुनाव में भाजपा के टिकट पर पड़रौना के विधायक बने थे। भाजपा का साथ छूटा तो उन्होंने पड़रौना सीट का साथ भी छोड़ दिया। इस बार वह फाजिल नगर सीट से सपा के प्रत्याशी हैं। स्वामी का मुकाबला भाजपा के सुरेंद्र कुशवाहा, बसपा के इलियास और कांग्रेस के मनोज सिंह से है।

शंखलाल माझी ने कठिन की फरेंदा की लड़ाई

सपा ने ठीक नामांकन के दिन संतकबीर नगर के रहने वाले पूर्व मंत्री शंखलाल माझी को महराजगंज फरेंदा सीट से लड़ाकर वहां की लड़ाई कठिन कर दी है। शंखलाल माझी मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव दोनों की सरकार में मंत्री रह चुके हैं। 2017 में वह जलालपुर से चुनाव लड़े थे और चुनाव हार गए थे। इस सीट पर उनकी लड़ाई भाजपा विधायक बजरंग बहादुर सिंह, बसपा की ईशू चौरसिया और कांग्रेस के वीरेंद्र चौधरी से है।

हरैया में पूर्व मंत्री से लड़ेंगे वर्तमान विधायक

पूर्व मंत्री राजकिशाेर सिंह के चलते बस्ती की हरैया विधानसभा सीट लंबे समय से चर्चा में रहती है और इस बार भी है। इस बार इस सीट पर उनका मुकाबला वर्तमान भाजपा विधायक अजय सिंह से है। बसपा प्रत्याशी राज किशाेर ने सीट को फिर से हथियाने के लिए ताकत झोंक दी है तो अजय सिंह का पूरा जोर अपनी सीट पर बचाने पर है। इस सीट पर उन्हें सपा के त्रयंबक पाठक और कांग्रेस के लाबोनी सिंह से भी कड़ी चुनौती मिलेगी।

इटवा में पूर्व विस अध्यक्ष और मंत्री सतीश के बीच मुकाबला

मुकाबले की दृष्टि से सिद्धार्थनगर की इटवा सीट भी अति महत्वपूर्ण है। इस सीट पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद सपा के प्रत्याशी के तौर पर एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं। इनका मुकाबला भाजपा प्रत्याशी और प्रदेश सरकार के शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी से है। सतीश ने पिछले चुनाव में माता प्रसाद को हराया था। इटवा में बसपा ने हरिशंकर सिंह और कांग्रेस ने अरशद खुर्शीद को उतारा है। ऐसे में यहां कड़ी चुनावी टक्कर है।

जय प्रताप सिंह के चलते चर्चा में है बांसी सीट

बांसी इस्टेट के राजा साहब और प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह एक बार फिर अपने इस्टेट क्षेत्र से ही चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। पिछले चुनाव में शोहरतगढ़ से अपना दल के टिकट पर विधायक चुने गए अमर सिंह चौधरी को पहले सपा ने बांसी से टिकट दिया फिर नामांकन से पहले उसे वापस भी ले लिया। ऐसे में यहां अब राजा साहब का मुकाबला सपा के मोनू दुबे, बसपा के राधेश्याम पांडेय और कांग्रेस की किरण शुक्ला से है।
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