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Basant Panchami 2022: बल, बुद्धि और विद्या की प्राप्ति हेतु बसंत पंचमी पर करें ये उपाय
Go Back | Yugvarta , Feb 02, 2022 12:12 PM
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News Image DESK :  5 फरवरी को वसंत पंचमी है। यह हर वर्ष माघ माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है। इस दिन विद्या और संगीत की देवी मां सरस्वती की पूजा आराधना की जाती है। वसंत पंचमी के दिन मां शारदे का प्रादुर्भाव हुआ है। अतः माघ माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी को मां की पूजा उपासना कर उनका जनमोत्स्व मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि मां की पूजा करने से व्रती को बल, बुद्धि और विद्या की प्राप्ति होती है। अत: बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की सच्ची श्रद्धा और भक्ति से पूजा करनी चाहिए। इस

Basant Panchami 2022 वसंत पंचमी के दिन मां शारदे का प्रादुर्भाव हुआ है। अतः माघ माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी को मां की पूजा कर उनका जनमोत्स्व मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि मां की पूजा करने से बुद्धि और विद्या की प्राप्ति होती है।

दिन बिहार, बंगाल, झारखंड समेत देश के कई राज्यों में उत्स्व जैसा माहौल रहता है। अगर आप भी मां की कृपा पाना चाहते हैं, तो बसंत पंचमी के दिन ये उपाय जरुर करें। आइए जानते हैं-

मां की कृपा पाने के लिए बसंत पंचमी के दिन पूजा के समय सरस्वती चालीसा का पाठ जरुर करें-

श्री सरस्वती चालीसा

जनक जननि पद्मरज, निज मस्तक पर धरि।

बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥

पूर्ण जगत में व्याप्त तव, महिमा अमित अनंतु।

दुष्टजनों के पाप को, मातु तु ही अब हन्तु॥

जय श्री सकल बुद्धि बलरासी।

जय सर्वज्ञ अमर अविनाशी॥

जय जय जय वीणाकर धारी।

करती सदा सुहंस सवारी॥

रूप चतुर्भुज धारी माता।

सकल विश्व अन्दर विख्याता॥

जग में पाप बुद्धि जब होती।

तब ही धर्म की फीकी ज्योति॥

तब ही मातु का निज अवतारी।

पाप हीन करती महतारी॥

वाल्मीकिजी थे हत्यारा।

तव प्रसाद जानै संसारा॥

रामचरित जो रचे बनाई।

आदि कवि की पदवी पाई॥

कालिदास जो भये विख्याता।

तेरी कृपा दृष्टि से माता॥

तुलसी सूर आदि विद्वाना।

भये और जो ज्ञानी नाना॥

तिन्ह न और रहेउ अवलम्बा।

केव कृपा आपकी अम्बा॥

करहु कृपा सोइ मातु भवानी।

दुखित दीन निज दासहि जानी॥

पुत्र करहिं अपराध बहूता।

तेहि न धरई चित माता॥

राखु लाज जननि अब मेरी।

विनय करउं भांति बहु तेरी॥

मैं अनाथ तेरी अवलंबा।

कृपा करउ जय जय जगदंबा॥

मधुकैटभ जो अति बलवाना।

बाहुयुद्ध विष्णु से ठाना॥

समर हजार पाँच में घोरा।

फिर भी मुख उनसे नहीं मोरा॥

मातु सहाय कीन्ह तेहि काला।

बुद्धि विपरीत भई खलहाला॥

तेहि ते मृत्यु भई खल केरी।

पुरवहु मातु मनोरथ मेरी॥

चंड मुण्ड जो थे विख्याता।

क्षण महु संहारे उन माता॥

रक्त बीज से समरथ पापी।

सुरमुनि हदय धरा सब काँपी॥

काटेउ सिर जिमि कदली खम्बा।

बारबार बिन वउं जगदंबा

जगप्रसिद्ध जो शुंभनिशुंभा।

क्षण में बाँधे ताहि तू अम्बा॥

भरतमातु बुद्धि फेरेऊ जाई।

रामचन्द्र बनवास कराई॥

एहिविधि रावण वध तू कीन्हा।

सुर नरमुनि सबको सुख दीन्हा॥

को समरथ तव यश गुन गाना।

निगम अनादि अनंत बखाना॥

विष्णु रुद्र जस कहिन मारी।

जिनकी हो तुम रक्षाकारी॥

रक्त दन्तिका और शताक्षी।

नाम अपार है दानव भक्षी॥

दुर्गम काज धरा पर कीन्हा।

दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा॥

दुर्ग आदि हरनी तू माता।

कृपा करहु जब जब सुखदाता॥

नृप कोपित को मारन चाहे।

कानन में घेरे मृग नाहे॥

सागर मध्य पोत के भंजे।

अति तूफान नहिं कोऊ संगे॥

भूत प्रेत बाधा या दुःख में।

हो दरिद्र अथवा संकट में॥

नाम जपे मंगल सब होई।

संशय इसमें करई न कोई॥

पुत्रहीन जो आतुर भाई।

सबै छांड़ि पूजें एहि भाई॥

करै पाठ नित यह चालीसा।

होय पुत्र सुन्दर गुण ईशा॥

धूपादिक नैवेद्य चढ़ावै।

संकट रहित अवश्य हो जावै॥

भक्ति मातु की करैं हमेशा।

निकट न आवै ताहि कलेशा॥

बंदी पाठ करें सत बारा।

बंदी पाश दूर हो सारा॥

रामसागर बाँधि हेतु भवानी।

कीजै कृपा दास निज जानी॥

॥दोहा॥

मातु सूर्य कान्ति तव, अन्धकार मम रूप।

डूबन से रक्षा करहु परूँ न मैं भव कूप॥

बलबुद्धि विद्या देहु मोहि, सुनहु सरस्वती मातु।

राम सागर अधम को आश्रय तू ही देदातु॥

ज्योतिषों की मानें तो मां सरस्वती को हरे रंग का फल, फूल, दूर्वा आदि अर्पित करने से बच्चे का मन स्टडी में लगने लगता है। एकाग्रता बढ़ाने के लिए स्टडी रूम में मां सरस्वती की चित्र जरुर लगाएं।

सरस्वती मंत्र का जाप करें

या कुन्देन्दु-तुषारहार-धवला या शुभ्र-वस्त्रावृता

या वीणावरदण्डमन्डितकरा या श्वेतपद्मासना ।

या ब्रह्माच्युत-शंकर-प्रभृतिभिर्देवैः सदा पूजिता

सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥
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