Diwali 2021: धनतेरस से भाईदूज तक दिवाली के ये पांच दिन इस तरह होते हैं सेलिब्रेट
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Yugvarta
, Oct 30, 2021 12:33 PM 0 Comments
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DESK : दिवाली महापर्व की इस साल 2 नवंबर को धनतेरस (Dhanteras) के दिन से शुरुआत होने जा रही है. पांच दिन चलने वाले दीपावली (Deepawali) महापर्व को लेकर घरों में कई दिनों पहले से तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं. यह त्यौहार हमारे जीवन में अंधकार मिटाकर प्रकाश की ओर चलने का संदेश देता है. दिवाली त्यौहार को मनाने को लेकर प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान श्रीराम लंका विजय कर अयोध्या (Ayodhya) लौटे थे तो उनके आगमन की खुशी में अयोध्या नगरी के हर घर को दीपों से सजाया गया था. तब से ही हर साल दिवाली मनाने की
दिवाली (Diwali) हिंदुओं का महापर्व माना जाता है. ऐसा इस वजह से है क्योंकि ये त्यौहार पांच दिन तक चलता है. इसकी शुरुआत धनतेरस से होती है. इस साल 2 नवंबर को धनतेरस मनाई जाएगी. इसके अगले दिन नरक चतुर्दशी और 4 नवंबर को दिवाली महापर्व मनाया जाएगा. इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा भी की जाएगी. दिवाली के अगले दिन 5 नवंबर को गोवर्धन पूजा और 6 नवंबर को भाई दूज सेलिब्रेट की जाएगी. दिवाली के पांच दिन चलने वाले इस त्यौहार में हर दिन ईश्वर के अलग रूप की आराधना की जाती है. साथ ही हर दिन से जुड़ी एक अलग पौराणिक कहानी और अलग परंपरा है. इसी परंपरा के तहत इन 5 दिनों में इस त्यौहार को सेलिब्रेट किया जाता है. यह त्यौहार हमारे जीवन में अंधकार को मिटाकर प्रकाश लाने का संदेश देता है.
परंपरा चली आ रही है. धनतेरस के अगले दिन नरक चतुर्दशी मनाई जाती है. इसके अगले दिन दिवाली सेलिब्रेशन होता है. दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा और उसके अगले दिन भैया दूज से दिवाली महापर्व का समापन होता है.
इस साल 2 नवंबर को धनतेरस मनाई जाएगी. इसके अगले दिन नरक चतुर्दशी और 4 नवंबर को दिवाली महापर्व मनाया जाएगा. इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा भी की जाएगी. दिवाली के अगले दिन 5 नवंबर को गोवर्धन पूजा और 6 नवंबर को भाई दूज सेलिब्रेट की जाएगी.
धनतेरस (Dhanteras)
पांच दिन चलने वाले दीपोत्सव पर्व की शुरुआत धनतेरस से होती है. इस दिन भगवान धन्वंतरि, मां महालक्ष्मी, यमराज और धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है. इस दिन सोना-चांदी, घर के लिए नए बर्तन या अन्य कोई नया सामान खरीदने की परंपरा है.
नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi)
धनतेरस के अगले दिन नर्क चतुर्दशी सेलिब्रेट की जाती है जिसे छोटी दिवाली भी जाना जाता है. इस दिन घर के साथ खुद के तन की सुंदरता भी निखारी जाती है. इसी वजह से इस दिन को रूप चौदस भी कहा जाता है. इस दिन दिवाली की तरह की घरों के बाहर दीप प्रज्जवलित किए जाते हैं. मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने सोलह हजार एक सौ कन्याओं को नरकासुर के बंदीगृह से मुक्त करवाकर उसका वध किया था. तब भगवान के स्वागत में उस दिन दीपक जलाये गए थे. इसी वजह से इस दिन घर में और मुख्य द्वार पर दीपक जलाये जाते हैं.
दिवाली (Diwali/Deepawali)
इस त्यौहार का तीसरा और मुख्य दिन दिवाली का है. माना जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान धन, वैभव, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी भी कार्तिक माह की अमावस्या को प्रकट हुई थीं. इसी वजह से दिवाली के दिन मां लक्ष्मी का स्वागत और उनके पूजन की परंपरा है. इस दिन घरों को सजाया जाता है और दीप जलाकर अंधकार को मिटाया जाता है. यह भी मान्यता है कि रावण का वध कर चौदह वर्षों के वनवास के बाद इसी दिन भगवान राम अयोध्या लौटे थे. तब उनका स्वागत घर-घर दीप जला कर किया गया था.
गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja)
दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. यह दिन अन्नकूट, पड़वा और प्रतिपदा भी कहलाता है. इस दिन घर में गोबर से गोवर्धन बनाए जाते हैं. इसके बाद 51 सब्ज़ियों को मिलाकर अन्नकूट बनाकर भोग लगाया जाता है और गोवर्धन पूजा की जाती है. भगवान श्री कृष्ण को गोवर्धन कहा जाता है.
भाई दूज (Bhai Dooj)
इस त्यौहार का पांचवां दिन भाई दूज होता है. इसके साथ ही पांच दिन चलने वाले इस महापर्व का समापन होता है.इस दिन को यम द्वितीया भी कहा जाता हैं. इस दिन भाई अपनी बहन के घर जाते हैं और उनसे माथे पर तिलक करवाते हैं. साथ ही इस दिन बहन के हाथ का बना खाना खाने की परंपरा भी है. कहा जाता है कि इससे भाई की उम्र लम्बी होती है.