उत्तर प्रदेश में ‘शून्य सांप्रदायिक हिंसा’ सख्त कानून-व्यवस्था और पारदर्शी पुलिसिंग की बड़ी उपलब्धि : पूर्व डीजीपी ए. के. जैन
एनसीआरबी के आंकड़ों को प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक ए. के. जैन ने योगी सरकार और उत्तर प्रदेश पुलिस की सख्त और संवेदनशील नीति का परिणाम बताया

YUGVARTA NEWS
Lucknow, 5 Oct, 2025 11:57 PMलखनऊ। एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) की वर्ष 2023 की रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा का एक भी मामला दर्ज नहीं हुआ — यह प्रदेश के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ए. के. जैन ने इसे योगी सरकार और उत्तर प्रदेश पुलिस की सख्त और संवेदनशील नीति का परिणाम बताया है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव केवल कानून-व्यवस्था में सुधार नहीं, बल्कि समाज के अंदर शांति और विश्वास का वातावरण बनने का प्रमाण है।
पूर्व डीजीपी ए. के. जैन का मानना है कि 2017 के बाद से उत्तर प्रदेश ने कानून-व्यवस्था के क्षेत्र में ऐतिहासिक परिवर्तन देखा है।
सख्त प्रशासनिक नियंत्रण, निरंतर मॉनिटरिंग और पुलिस की बढ़ी फिजिबिलिटी ने न केवल दंगों को रोका है, बल्कि समाज में भरोसे का माहौल भी बनाया है। उनका कहना है कि यह बदलाव उत्तर प्रदेश के चरित्र में स्थायी सुधार का संकेत है।
दंगे अब ‘पुलिस बनाम दंगाई’ तक सीमित, हिंदू-मुस्लिम टकराव नहीं-
पूर्व डीजीपी ने बताया कि पहले उत्तर प्रदेश दंगों के लिए बदनाम था, लेकिन पिछले सात वर्षों में हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। उन्होंने कहा कि कुछ घटनाएं जरूर हुईं, लेकिन वे ‘दंगाई बनाम पुलिस’ तक ही सीमित रहीं, हिंदू बनाम मुस्लिम नहीं बन पाईं। पुलिस ने कड़ी कार्रवाई करते हुए सभी दंगाइयों को नियंत्रण में लिया। उन्होंने प्रयागराज और कानपुर की घटनाओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि जुमे की नमाज़ के बाद भीड़ ने अराजकता फैलाने की कोशिश की थी, लेकिन पुलिस की तत्परता और सख्ती के कारण स्थिति तुरंत काबू में आ गई।
अब न शिया-सुन्नी तनाव, न धार्मिक वैमनस्य-
ए.के. जैन ने अपने कार्यकाल की याद करते हुए कहा कि लखनऊ जैसे संवेदनशील शहर में पहले शिया-सुन्नी विवाद आम बात थी। उन्होंने कहा कि मैं बतौर आईजी ज़ोन पुराने लखनऊ में खुद मौजूद रहता था ताकि कोई फसाद न हो। लेकिन अब वर्षों से ऐसी कोई स्थिति नहीं बनी है। शिया और सुन्नी समुदाय अपने-अपने त्यौहार शांतिपूर्वक मना रहे हैं।
सरकार का स्पष्ट संदेश — निर्दोष न फंसे, आरोपी न बचे-
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का साफ निर्देश है कि दंगाइयों पर कठोरतम कार्रवाई की जाए, लेकिन किसी निर्दोष को परेशान न किया जाए। पुलिस, जिला प्रशासन, डीजीपी कार्यालय और गृह विभाग सब एक साथ मॉनिटरिंग कर रहे हैं। यही वजह है कि पुलिस का मनोबल बढ़ा है और कार्रवाई में पारदर्शिता आई है।
वसूली अधिनियम से बदले हालात, अब कोई सरकारी संपत्ति को नहीं छूता-
जैन ने बताया कि लखनऊ के हजरतगंज और परिवर्तन चौक में हुई हिंसा के बाद सरकार ने वसूली अधिनियम लागू किया, जिसके तहत सरकारी या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से क्षतिपूर्ति की जाती है। उसके बाद से अब कोई सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की हिम्मत नहीं करता। वसूली नोटिस निकलते ही दंगाइयों के हौसले पस्त हो गए हैं।
संवेदनशील पुलिसिंग और एजेंसियों की समन्वय कार्रवाई से बना भरोसा-
पूर्व डीजीपी ने बताया कि अब केवल पुलिस ही नहीं, बल्कि नगर निगम, विकास प्राधिकरण और जिला पंचायत जैसी एजेंसियां भी समन्वित एक्शन ले रही हैं। उन्होंने बरेली का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां एक करोड़ 12 लाख रुपये की वसूली यूपीपीसीएल के इंजीनियर और अधिकारियों ने की है। यह स्पष्ट संदेश है कि कानून तोड़ने वालों को अब कोई आका नहीं बचा पाएगा।
तुष्टिकरण की नीति खत्म, कानून सबके लिए समान-
ए.के. जैन ने कहा कि पूर्व की सरकारों में तुष्टिकरण की नीति के कारण दंगों पर कार्रवाई प्रभावित होती थी। अब जो भी व्यक्ति, चाहे हिंदू हो या मुस्लिम, कानून तोड़ेगा तो उसे कठोर दंड मिलेगा। यही नीति यूपी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
माफियाओं और संगठित अपराध का अंत-
उन्होंने कहा कि पहले के दौर में माफिया राजनीति और अपराध के गठजोड़ से प्रदेश को अस्थिर करते थे। अब न कोई माफिया बचा है, न संगठित अपराध। गोलीबारी और धमकियों का दौर खत्म हो गया है। इसका कारण है, पुलिस और प्रशासन को मिले स्पष्ट निर्देश और सतत मॉनिटरिंग।
शांतिपूर्ण माहौल से निवेश को मिल रही गति-
उन्होंने कहा कि प्रदेश में शांति और सुरक्षा का माहौल निवेश के लिए सबसे अनुकूल स्थिति पैदा कर रहा है। अगर दंगे, लूटपाट और कर्फ्यू का माहौल रहेगा, तो कोई उद्योगपति यहां निवेश नहीं करेगा। लेकिन आज उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था सशक्त है, इसलिए ग्लोबल इन्वेस्टर्स भी भरोसा दिखा रहे हैं।
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