यम द्वितीया भाई दूज बहने करेंगीं तिलक अपने भाई के मस्तक पर

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Lucknow, 22 Oct, 2025 10:16 PM
यम द्वितीया  भाई दूज बहने करेंगीं तिलक अपने भाई के मस्तक पर

यम द्वितीया को 'यम द्वितीया' इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दिन मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे। यमुना ने अपने भाई का आदर-सत्कार किया, तिलक लगाया और भोजन कराया । फिर यमराज बहुत प्रसन्न होकर यमुना को बरदान दिया । कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया (भाई दूज) एक पौराणिक कथा अनुसार यमुना यमराज की बहन हैं। यमराज ने यमुना को वरदान दिया था कि इस दिन जो भाई अपनी बहन के हाथ से तिलक कराएगा और भोजन करेगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं होगा। इस दिन का महत्व यमुना स्नान, यमराज और चित्रगुप्त पूजा के साथ-साथ भाई-बहन के अटूट प्रेम और सम्मान के बंधन को मजबूत करने में है। यम द्वितीया को 'यम द्वितीया' इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दिन मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे। यमुना ने अपने भाई का आदर-सत्कार किया, तिलक लगाया और भोजन कराया। यमराज ने प्रसन्न होकर यमुना को वरदान दिया कि जो भाई इस दिन अपनी बहन के साथ यमुना में स्नान कर उससे तिलक करवाएगा और भोजन करेगा, उसे अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलेगी। यह पर्व भाई-बहन के बीच स्नेह, सुरक्षा और प्रेम का प्रतीक है। यह भाई को उसकी बहन के प्रति और बहन को अपने भाई के प्रति स्नेह जताने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। चित्रगुप्त की पूजा इस दिन चित्रगुप्त जी महाराज की भी पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है।चूँकि यमराज के बही खाता जो समस्त जीवों के कर्म का होता है , इसके आधार पर यमराज जी वों के कर्मफल का निर्धारण करते हैं , उसका सम्पूर्ण दायित्व चित्रगुप्त महाराज का है बही में उस दिन किसका क्या संशोधन करना है यथा समय संशोधन भी हो , इसीलिए चित्रगुप्त महाराज की भी पूजा होती है । कायस्थ समुदाय के लोग इस दिन चित्रगुप्त महाराज की पूजा करते हैं और अपनी व्यावसायिक बहीखातों की भी पूजा करते हैं। बहन के हाथ का भोजन: इस दिन बहन के हाथ का बना भोजन करना बहुत शुभ माना जाता है। यह भाई और बहन दोनों के लिए सुख-समृद्धि लाता है। दीपक दान: घर के बाहर चार बत्तियों वाला दीपक जलाकर दीप दान करने का भी नियम है। विकल्प: यदि सगी बहन न हो, तो चचेरी, मौसेरी, बुआ या मौसी की बेटी को भी बहन के समान मानकर उनकी पूजा की जा सकती है। यम द्वितीया या भाई दूज का पौराणिक महत्व इस प्रकार है: पौराणिक कथाओं के मुताबिक, कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने गए थे. यमुना ने अपने भाई का बहुत अच्छे से स्वागत किया था. यमराज ने खुश होकर यमुना को वरदान दिया था. इस वरदान के मुताबिक, जो भी भाई इस दिन अपनी बहन से टीका लगवाएगा और बहन के हाथों से बना भोजन करेगा, उसे अकाल मृत्यु का डर नहीं रहेगा. यमुना ने अपने भाई से यह भी वचन लिया था कि जिस तरह आज के दिन उनका भाई यम उनके घर आया है, हर भाई अपनी बहन के घर जाए. तभी से भाई दूज मनाने की परंपरा चली आ रही है. इस दिन बहनें अपने भाइयों के मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी सुख-समृद्धि और दीर्घायु की कामना करती हैं. भाई दूज को यम द्वितीया इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की द्वितीया होती है. भाई दूज, पंच दिवसीय दीपावली पर्व का आखिरी दिन होता है. इसका मकसद पारिवारिक मूल्यों को संजोना और आपसी स्नेह-सौहार्द को बढ़ाना होता है. पूजा का पौराणिक महत्व यह है कि भगवान चित्रगुप्त को न्याय और कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाला देवता माना जाता है। यह पूजा भक्तों को अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित करती है और बुरे कर्मों से बचाती है। चित्रगुप्त पूजा से ज्ञान, बुद्धि, व्यापार में उन्नति और पापों से मुक्ति मिलती है। इस पूजा में कलम-दवात की भी पूजा होती है, जिससे लेखन कार्य और व्यापार में सफलता मिलती है। चित्र पूजा का पौराणिक महत्व न्याय और कर्मों का लेखा-जोखा: भगवान चित्रगुप्त सभी मनुष्यों के जन्म और मृत्यु के साथ उनके अच्छे और बुरे कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं, जिसके आधार पर यमराज आत्मा के भविष्य का निर्णय करते हैं। चित्रगुप्त महाराज और यमुना माता , यमराज जी को बारम्बार नमन । 23 अक्टूबर 2025 दिन गुरुवार । यम द्वितीया , भाई दूज , भाई टीका , चित्र गुप्त पूजा की आप सभी को शुभकामनाएं । Pandit Manikant 

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