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भाजपा के लिए जितिन प्रसाद का आना क्या होगा एक सुखद संदेश
Go Back | Yugvarta , Jun 09, 2021 07:41 PM
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News Image Lucknow :  कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की उपस्थिति में वह भाजपा में शामिल हुए। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले हलचल शुरू हो गई है। बता दें कि भाजपा के सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी ने बुधवार सुबह एक ट्वीट कर जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने की ओर इशारा कर दिया था। कांग्रेस के बड़े ब्राह्मण चेहरों में से एक जितिन प्रसाद पिछले कई दिनों से पार्टी हाईकमान से नाराज थे। वह यूपी कांग्रेस के कुछ नेताओं से अपनी नाराजगी जाहिर भी कर चुके थे, लेकिन

यूपी में बीजेपी से ब्राह्मणों की नाराजगी के कयासों के बीच उनका पार्टी में आना फायदेमंद साबित हो सकता है।

फायदा नहीं हुआ। ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की टीम से जितिन प्रसाद के रूप में एक और बेहद अहम विकेट गिरा है।

जितिन प्रसाद ने होम मिनिस्टर अमित शाह, बीजेपी के चीफ जेपी नड्डा और रेल मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात की थी। बीजेपी में जितिन प्रसाद का स्वागत करते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि वह उत्तर प्रदेश की सेवा में लंबे समय से लगे रहे हैं। गोयल ने कहा कि उनकी सिर्फ 27 साल उम्र थी, जब पिता जितेंद्र प्रसाद का निधन हो गया था। तब से ही वह यूपी की सेवा में लग गए थे। उत्तर प्रदेश की राजनीति में उनकी बड़ी भूमिका रही है।
दिग्गज कांग्रेसी व ब्राह्मण वोट बैंक का एक प्रमुख चेहरा रहे जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने के बाद सीतापुर, शाहजहांपुर, धौरहरा-लखीमपुर में सियासी समीकरण बदल सकते हैं। यूपी में 2022 का चुनाव जीतने की तैयारियों में तेजी से जुटी भाजपा के लिए जितिन प्रसाद का आना सुखद संदेश हो सकता है। उनकी गिनती उत्तर प्रदेश के कुछ जनपदों में ब्राह्मण नेता के तौर पर होती रही हैं। उनका भाजपा में शामिल होना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। महज 27 वर्ष की उम्र में पिता जितेन्द्र प्रसाद के निधन व माता कांता प्रसाद के चुनाव हार जाने के बाद शाहजहांपुर से अपनी सियासी पारी की शुरुआत करने वाले जितिन 2004 का लोकसभा चुनाव जीतकर सोनिया गांधी व राहुल गांधी के निकट आ गए थे। 2009 में शाहजहांपुर लोकसभा सीट आरक्षित हो जाने के बाद श्री प्रसाद ने 15वीं लोकसभा का चुनाव 2009 में नवसृजित धौरहरा सीट पर किस्मत आजमाई, जिसमें लगभग एक लाख पचहत्तर हजार मतों से विजय प्राप्त की थी। उसके बाद 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में जितिन प्रसाद को हार का सामना करना पड़ा था।
कांग्रेस में अपनी उपेक्षा से आहत होकर जितिन प्रसाद 2020 में कोविड कॉल के दौरान ब्राह्मण चेतना परिषद बनाकर ब्राह्मणों को अपने साथ जोड़ने के अभियान में जुटे थे, उनके नजदीकी बताते हैं कि 2020 में कोरोना आपदा के दौरान जितिन ने बृहद स्तर पर वर्चुअल मीटिंग से उत्तर प्रदेश के कई जिलों में ब्राह्मणों को जोड़ने का काम शुरू किया था। इसके माध्यम से वे लोगों की नब्ज भी टटोलने में जुटे थे। प्रदेश के कई जिलों में वे 'ब्राह्मण चेतना परिषद' की इकाई का गठन कर निरन्तर सम्पर्क व संवाद कायम किये हुए थे।

ब्राह्मण जाति से ताल्लुक रखने वाले जितिन प्रसाद की बीजेपी में एंट्री अगड़ी जातियों को लुभाने के लिहाज से अहम हो सकता है। कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे जितेंद्र प्रसाद के बेटे जितिन प्रसाद को राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के करीबी लोगों में शुमार किया जाता रहा है। खासतौर पर अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए यह बड़ा नुकसान है।
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