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अपने हृदय स्‍वास्‍थ्‍य के लिए फि‍टनेस रूटीन में शामिल करें ये 5 योग मुद्राएं
Go Back | Yugvarta , Jun 02, 2021 07:55 PM
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हृदय आपके शरीर का केंद्र है, इसलिए इसे सेहतमंद करना बहुत जरूरी है। आप सभी पहले से ही हृदय स्वास्थ्य के लिए योग आसनों के लाभों के बारे में जानती होंगी, लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसी मुद्राओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जो योगासन की तरह ही काफी लाभकारी हैं।


क्‍या हैं योग मुद्राएं
आइए जानते हैं कि मुद्रा का क्या अर्थ है। ये एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है ‘हावभाव’ – ये आपके शरीर में ऊर्जा प्रवाहित करने का काम करता है, जिससे आपके स्वास्थ्य को लाभ होता है। इन मुद्राओं का नियमित रूप से अभ्यास करने से आपके हृदय स्वास्थ्य की स्थिति अच्छी रहती है।

यहां कुछ मुद्राएं हैं जो आपके हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखती हैं
1. सूर्य मुद्रा या अग्नि मुद्रा:
सूर्य या अग्नि मुद्रा के रूप में भी जाना जाता है, कम ही लोग जानते हैं कि थायराइड हार्मोन का हृदय कार्य, रक्त वाहिकाओं और कोलेस्ट्रॉल के स्तर पर सीधा प्रभाव पड़ता है। लेकिन सूर्य मुद्रा का अभ्यास करने से थायराइड ग्रंथि की चयापचय क्रिया को उत्तेजित करता है। ये मुद्रा कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करती है, जिससे हृदय संबंधी समस्या कम हो जाती है।

सूर्य मुद्रा करने का तरीका:
पद्मासन की आरामदायक स्थिति में बैठ जाएं। सुनिश्चित करें कि आप एक चटाई पर बैठें, फर्श पर नहीं।अपना हाथ अपनी जांघों या घुटनों पर रखें, और उन्हें आराम करने दें।इसके बाद, अपने दोनों हाथों की रिंग फिंगर को मोड़ें, टिप को अंगूठे के आधार पर रखें।सुनिश्चित करें कि अंगूठा रिंग फिंगर के शीर्ष को दबा रहा हो।अन्य उंगलियों को बाहर की ओर फैलाकर रखें।अपनी आंखें बंद करें, और मुद्रा का अभ्यास करें।ध्यान दें कि आप अपने अंगूठे से रिंग फिंगर को बीच से दबा रही हैं।
सूर्य मुद्रा को भोजन से पहले करना चाहिए, इसे दिन में दो बार लगभग 15-20 मिनट तक कर सकती हैं।

2. अपान वायु मुद्रा:
अपान वायु मुद्रा हृदय संबंधी बीमारियों को ठीक करने में मदद करती है। ये दिल के दौरे को रोकने में मदद करती है और साथ ही दिल में भारीपन से भी छुटकारा दिलाती है। इसके अलावा, ये सिरदर्द, चिंता और घबराहट को भी नियंत्रित करती है और पाचन क्रिया और फेफड़ों की क्षमता में भी सुधार करती है।

अपान वायु मुद्रा करने का तरीका:
इस मुद्रा में अंगूठा, इंडेक्स, मिडल और रिंग फिंगर की गति शामिल है।पद्मासन में बैठें। अपने आप को और आरामदेह बनाएं।अपने हाथों को बाहर की ओर फैलाएं और उन्हें जांघों पर टिका दें, अपनी इंडेक्स फिंगर को हथेली के केंद्र की ओर मोड़ें।अब मिडल और रिंग फिंगर के सिरे को अंगूठे के सिरे से मिलाएं। छोटी उंगली सीधी रखें।अब उंगली के उसी अवस्‍था में रखें, अपनी आंखें बंद करें और एकाग्रता के लिए ओम का जाप करें।
इसके लिए कोई विशेष समय नहीं है। हालांकि, आप हर दिन सुबह या शाम 30 मिनट के लिए इस मुद्रा का अभ्यास कर सकती हैं।
3. रुद्र मुद्रा
मुद्रा एक शक्तिशाली उपचार है, जो शरीर को बहुत अधिक ऊर्जा देती है। ये इच्छाशक्ति को बढ़ाने और आत्म-सम्मान में सुधार लाने में मदद करती है। इसका अभ्यास करने से आपका हृदय स्वास्थ्य सेहतमंद रहेगा।

रुद्र मुद्रा करने का सही तरीका:
पद्मासन या वज्रयान की स्थिति में आराम से बैठ जाएं। आप कुर्सी पर खड़े होने या बैठने का भी अभ्यास कर सकते हैं।अपने हाथों को अपनी जांघों पर रखें, दोनों हथेलियों को ऊपर की ओर रखें।अपनी इंडेक्स और रिंग फिंगर को अंगूठे की ओर मोड़ें और दोनों उंगलियों के सिरे को अंगूठे को छूने दें।ध्यान दें कि आप अपनी उंगलियों को अपने अंगूठे से अच्छे से दबा रही हैं।शेष उंगलियों को फैला हुआ छोड़ दें।अपनी आंखें बंद करें और सांस लेने पर ध्यान दें।एकाग्रता के लिए ओम का जाप करें या सांस लेने पर ध्यान दें।
रुद्र मुद्रा 20 मिनट तक करनी चाहिए।, इसे दिन में दो बार 10-12 मिनट तक किया जा सकता है।

4. गणेश मुद्रा:
ये मुद्रा तनाव को दूर करने और आपके मूड को बढ़ावा देने के लिए जानी जाती है। इसका नियमित रूप से अभ्यास करने से उच्च कोलेस्ट्रॉल वाले लोगों का कोलेस्ट्रॉल कम होता है। गणेश मुद्रा का अभ्यास करने से आपका दिल मजबूत होता है, ये मुद्रा रक्त संचार में सुधार लाती है और हृदय चक्र खोलती है। कुल मिलाकर ये मुद्रा हृदय की कार्यप्रणाली को नियंत्रित करने में मदद करती है।

गणेश मुद्रा को करने का सही तरीका:
पद्मासन जैसी आसान मुद्रा में बैठ जाएं। आराम से सांस लें और अपने शरीर को आराम दें।अपनी हथेलियों को अंजलि मुद्रा में स्पर्श करने के लिए लाएं।बाएं हाथ की हथेली बाहर की ओर होनी चाहिए, जबकि दाहिने हाथ की हथेली बाईं हथेली की ओर होनी चाहिए।अपने दाहिने हाथ की उंगलियों के साथ बाएं हाथ की उंगलियों को पकड़ें।उन्हें विपरीत तरीकों से खींचते हुए, सांस छोड़ें और खिंचाव को छोड़ते हुए धीमी सांस लें।अब, अपने हाथों की स्थिति बदलें और इसे छह बार दोहराएं।
लाभ प्राप्त करने के लिए खाली पेट या सुबह के समय इसका अभ्यास करना चाहिए।

5. प्राण मुद्रा:
प्राण मुद्रा फेफड़ों के कार्य को बढ़ाती है, हृदय को सक्रिय करती है और रक्त संचार में सुधार लाती है। इस मुद्रा का अभ्यास करने से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता और आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।

प्राण मुद्रा करने का सही तराका:
आराम से जमीन या कुर्सी पर बैठ जाएं।अपने हाथों को बाहर की ओर फैलाएं और उन्हें जांघों पर टिकाएं, अपनी हथेलियों को ऊपर की ओर रखें।आखिरी की दोनों छोटी उंगलियों को, अंगूठे की नोक से स्पर्श करें।आंखें बंद करके मुद्रा का अभ्यास करें।इस मुद्रा का अभ्यास आप किसी भी समय कर सकती हैं।
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