Doomsday Clock: विनाश के कगार पर है दुनिया! 'प्रलय की घड़ी' ने दिए खतरनाक संकेत
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Yugvarta
, Jan 31, 2021 08:47 PM 0 Comments
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NEW DELHI : सृष्टि में हमेशा कुछ न कुछ बदलाव होता रहता हैं. मानवता के सामने प्रलय (Doomsday) के खतरे को दिखाने वाली घड़ी इस समय खतरनाक इशारा कर रही है. यह घड़ी मध्यरात्री (Midnight) से करीब 100 सेकंड दूर है. घड़ी के कांटों का मध्यरात्री तक पहुंचने का मतलब है दुनिया में प्रलय का संकेत. सभी जानते हैं कि इस फिलहाल दुनिया कोरोना वायरस महामारी (Corona Virus Pandemic), न्यूक्लियर युद्ध (Nuclear War) और जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से जूझ रही है. इस घड़ी ने 2020 में भी इतना ही समय बताया था.
क्या कहती है कयामत की घड़ी
बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट (Bulletin
Doomsday Clock: इस घड़ी का निर्माण बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स (Bulletin Of The Atomic Scientists) ने 1947 में किया था. दरअसल यह एक नॉन प्रॉफिट ग्रुप है, जिसका गठन वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein) और यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के छात्रों ने 1945 में किया था. आपको बता दें कि इसके बोर्ड सदस्यों में 13 नोबल पुरस्कार विजेता हैं.
-कयामत की घड़ी के कांटे मध्यरात्री से 100 सेकंड दूर हैं
-इस घड़ी ने 2020 में भी इतना ही समय बताया था
-इसका गठन वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने 1945 में किया था
Of The Atomic Scientist) के अध्यक्ष रेचल ब्रॉन्सन ने कहा, 'कयामत की घड़ी के कांटे मध्यरात्री से 100 सेकंड दूर हैं. कांटे मध्यरात्री के पहले से ज्यादा करीब हैं.' बात दें कि बीते साल घड़ी मध्यरात्री से 2 मिनट की दूरी पर थी, जो बाद में खिसकर 100 सेकंड पर आ गई थी.
क्या है प्रलय की घड़ी
उन्होंने बताया कि खतरनाक और भय से प्रेरित कोविड-19 महामारी एक एतिहासिक वेक अप कॉल की तरह काम करता है. यह बताता है कि राष्ट्रीय सरकारें और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं न्यूक्लियर हथियार और जलवायु परिवर्तन के खतरे का सामना करने के लिए तैयार नहीं थीं. अब आप जरूर जानना चाहेंगे कि प्रलय की घड़ी क्या है और जब यह मध्यरात्री तक पहुंचेगी तो क्या होगा?
प्रलय की घड़ी बताती है भविष्य की त्रासदी
गौरतलब है कि इस घड़ी का निर्माण बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स (Bulletin Of The Atomic Scientists) ने 1947 में किया था. दरअसल यह एक नॉन प्रॉफिट ग्रुप है, जिसका गठन वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन (Albert Einstein) और यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के छात्रों ने 1945 में किया था. आपको बता दें कि इसके बोर्ड सदस्यों में 13 नोबल पुरस्कार विजेता हैं. ये प्रलय की घड़ी यह दिखाती है कि पृथ्वी के कितने करीब है त्रासदी. इस घड़ी से पता लगाया जाता है कि न्यूक्लियर घटनाओं और जलवायु परिवर्तन के खतरों का असर दुनिया पर पड़ने में कितना समय है. उधर, बावा वैंगा ने भी 2021 को लेकर कई भविष्यवाणियां की हैं. उनकी भविष्यवाणी के हिसाब से मानवता के लिए साल 2021 खतरनाक साबित होने वाला है